आपसी कलह के बीच प्रासंगिकता के लिए जूझती रहा भारतीय टेनिस |

आपसी कलह के बीच प्रासंगिकता के लिए जूझती रहा भारतीय टेनिस

आपसी कलह के बीच प्रासंगिकता के लिए जूझती रहा भारतीय टेनिस

Edited By :  
Modified Date: December 27, 2024 / 04:16 PM IST
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Published Date: December 27, 2024 4:16 pm IST

… अमनप्रीत सिंह …

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय टीम के लिए बड़े खिलाड़ियों की बेरुखी और संचालन संस्था के अंदरूनी कलह के कारण साल 2024 भारतीय टेनिस काफी हद तक निराशाजनक रहा है। अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) और खिलाड़ियों के बीच मतभेद कोई नई बात नहीं है लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि निर्णय लेने में पारदर्शिता की कमी थी और खिलाड़ियों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास लगभग नहीं के बराबर दिखे। इन सब का परिणाम यह हुआ कि देश में इस खेल का स्तर लगातार नीचे की ओर गिरता जा रहा है। एआईटीए अध्यक्ष अनिल जैन पर व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का उपयोग करने का आरोप लगा। उन्होंने इस मामले में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से इनकार कर दिया लेकिन काफी हाय तौबा के बाद अपना पद छोड़ने के लिए राजी हुए। साल के आखिर में प्रशासकों की एक नयी टीम ने भारतीय टेनिस को बदलने का वादा करते हुए चुनाव जीता, लेकिन दो पूर्व खिलाड़ियों द्वारा दायर एक रिट याचिका ने उन्हें पदभार संभालने से रोक दिया जिससे उनकी घोषित सुधार प्रक्रिया को शुरू करने में विलंब हो रहा है। इन खिलाड़ियों ने एआईटीए के चुनाव में खेल संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया। इस मामले की सुनवाई 25 मार्च से पहले नहीं होगी, जिससे पूरी प्रणाली के लिए जरूरी सुधार रुकी हुई है। संक्षेप में 2024 में भारतीय टेनिस के लिए जो कुछ भी गलत हो सकता था, वह गलत हुआ। युकी भांबरी ने बिना कोई कारण बताए सितंबर में स्वीडन के खिलाफ डेविस कप मुकाबले में भारत के लिए खेलने से इनकार कर दिया। महासंघ के सूत्रों ने बताया कि वह पेरिस ओलंपिक से बाहर किये जाने से निराश थे। पेरिस ओलंपिक के लिए रोहन बोपन्ना ने शीर्ष -10 खिलाड़ी होने के नाते एन श्रीराम बालाजी को अपने युगल साथी के रूप में चुना था। भांबरी इससे पहले जनवरी-फरवरी में डेविस कप कार्यक्रम के लिए सुरक्षा चिंताओं के बावजूद इस्लामाबाद, पाकिस्तान गए थे। एआईटीए से भांबरी की निराशा का एक और कारण ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम’ के लिए उनका नाम नहीं भेजे जाने को लेकर भी है। एआईटीए इस मुद्दे पर उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं दे सका। जहां भांबरी निराश थे, वहीं भारत के शीर्ष एकल खिलाड़ी सुमित नागल का पाकिस्तान और स्वीडन दोनों के खिलाफ मुकाबले से हटने का फैसला थोड़ा चौंकाने वाला था। कप्तान रोहित राजपाल वार्षिक डेविस कप ड्यूटी के लिए नागल की 50,000 अमेरिकी डॉलर की पारिश्रमिक राशि की मांग पर भी सहमत हो गए थे, लेकिन झज्जर के खिलाड़ी ने पीठ में खिंचाव का हवाला देते हुए स्वीडन मुकाबले से नाम वापस ले लिया। वह इसके अगले सप्ताह एटीपी टूर कार्यक्रम से भी हट गये। भारत को स्वीडन से 0-4 से मिली हार के बाद एआईटीए ने नागल की पैसों की मांग को सार्वजनिक कर दिया। इससे एक बार फिर एआईटीए और नागल के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया। इस नाटक के बीच भारत के दूसरे सर्वश्रेष्ठ एकल खिलाड़ी शशिकुमार मुकुंद को मुकाबले के लिए भी नहीं चुना गया क्योंकि उन्होंने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया था और उनके खिलाफ कुछ अन्य अनुशासनात्मक मामले भी थे। इन सभी मुद्दों को बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था।  इस साल कोर्ट पर भारत को ज्यादा सफलता नहीं मिली। 44 वर्षीय बोपन्ना ने मैथ्यू एबडेन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष युगल खिताब के साथ साल का शानदार आगाज किया था। इसके बाद यह जोड़ी पूरे साल अपेक्षित सफलता से दूर रही। एकल वर्ग में पहले हाफ में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद नागल ने अपने करियर की सर्वोच्च 68वीं रैंक को छुआ। सत्र के दूसरे हाफ में उनका प्रदर्शन खराब होना शुरू हो गया। उनका संघर्ष ऐसा था कि अपने पिछले 12 टूर्नामेंटों में, नागल केवल दो मैच जीतने में सफल रहे – एक जुलाई में कित्जबुहेल चैलेंजर में और एक अक्टूबर में बासेल में।   वह मौजूदा समय में रैंकिंग में 98वें स्थान पर है और अब शीर्ष 100 से बाहर होने की कगार पर हैं । रैंकिंग में अगले सर्वश्रेष्ठ भारतीय मुकुंद हैं, जो इस समय 368वें स्थान पर हैं। खिलाड़ियों की अगली पंक्ति में शामिल मानस धामने, करण सिंह, देव जाविया और आर्यन शाह को वैश्विक स्तर पर दमखम दिखाने के लिए आवश्यक समर्थन नहीं मिल पा रहा है। जहां तक महिला सर्किट की बात है, कोई भी खिलाड़ी इतनी आशाजनक नहीं दिखती कि उसे अगली बड़ी चीज के रूप में देखा जाए। प्रतिभा के संकट को देखते हुए, भारत को एक मजबूत घरेलू सर्किट और एटीपी चैलेंजर्स और डब्ल्यूटीए/आईटीएफ महिला आयोजनों की एक  की आवश्यकता है। भाषा आनन्द नमितानमिता

 

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