Indian players shine in Paris Paralympics, have won so many medals so far

Paris Paralympic 2024 : पेरिस पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा, अब तक इतने पदक किए अपने नाम

पेरिस पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा, Indian players shine in Paris Paralympics, have won so many medals so far

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Modified Date: September 5, 2024 / 07:20 AM IST
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Published Date: September 5, 2024 7:15 am IST

पेरिसः Paris Paralympic 2024 हरविंदर सिंह ने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाला पहला भारतीय तीरंदाज बनकर इतिहास रच दिया। विश्व चैंपियन शॉटपुट (गोला फेंक) खिलाड़ी सचिन सरजेराव खिलाड़ी ने एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता था जिससे पेरिस खेलों में भारत के एथलीटों का पदक जीतने का सिलसिला जारी रहा जो देश का पैरालंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। टोक्यो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता नौवें वरीय हरविंदर ने दुनिया के 35वें नंबर के खिलाड़ी और छठे वरीय पोलैंड के लुकास सिजेक को एकतरफा खिताबी मुकाबले में 6-0 (28-24, 28-27, 29-25) से शिकस्त दी। पैरालंपिक में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय तीरंदाज हरविंदर ने बुधवार को लगातार पांच जीत के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया और लगातार दूसरा पैरालंपिक पदक जीता।

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Paris Paralympic 2024 सचिन ने एफ46 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड 16 . 32 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता। इस 34 वर्ष के खिलाड़ी ने दूसरे प्रयास में सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका और मई में जापान में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान 16.30 मीटर के अपने ही एशियाई रिकॉर्ड को बेहतर किया । सचिन खिलाड़ी का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास हालांकि उन्हें पहला स्थान दिलाने के लिए काफी नहीं था और कनाडा के ग्रेग स्टीवर्ट ने 16.38 मीटर के प्रयास से तोक्यो पैरालम्पिक में जीता स्वर्ण बरकरार रखा। क्रोएशिया के लुका बाकोविच ने 16.27 मीटर से कांस्य पदक जीता । खिलाड़ी का रजत पेरिस पैरालम्पिक में एथलेटिक्स में भारत का 11वां पदक है। हरविंदर के स्वर्ण के साथ देश के कुल पदकों की संख्या 22 पहुंच गयी। भारत चार स्वर्ण, आठ रजत और 10 कांस्य पदक के साथ 15वें स्थान पर है।एफ46 श्रेणी में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी भुजाओं में कमजोरी है, मांसपेशियों की शक्ति क्षीण है या भुजाओं में निष्क्रिय गति की सीमा क्षीण है । ऐसे एथलीट खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

भारत के एकमात्र पैरालंपिक पदक विजेता तीरंदाज हरविंदर ने पहले सेट में नौ अंक के साथ शुरुआत की जबकि लुकास ने भी इसका जवाब नौ अंक के साथ दिया। हरविंदर का अगला निशाना 10 अंक पर लगा जबकि पोलैंड का तीरंदाज सात अंक ही जुटा पाया। भारतीय तीरंदाज ने इसके बाद नौ अंक के साथ पहला सेट 28-24 से अपने नाम किया। दूसरे सेट में सिजेक ने तीनों निशाने नौ अंक पर मारे जबकि हरविंदर ने दो नौ और फिर अंतिम प्रयास में 10 अंक के साथ 28-27 से सेट जीतकर 4-0 की बढ़त बनाई। तीसरे सेट में भी हरविंदर हावी रहे। सिजेक के सात अंक के मुकाबले उन्होंने 10 अंक से शुरुआत की और फिर अगला निशाना भी 10 अंक पर लगाया। भारतीय तीरंदाज ने अंतिम प्रयास में नौ अंक के साथ 29-25 से सेट और स्वर्ण पदक जीत लिया। हरविंदर इससे पहले सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मद रेजा अरब अमेरी को 7-3 से हराकर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने। भारतीय तीरंदाज ने पहले सेट में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए ईरान के प्रतिद्वंद्वी को 25-26, 27-27, 27-25, 26-24, 26-25 से मात दी। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में कोलंबिया के दुनिया के नौवें नंबर के खिलाड़ी हेक्टर जूलियो रमीरेज को 6-2 से शिकस्त दी। हरविंदर ने चीनी ताइपे के सेंग लुंग हुई को 7-3 से पराजित करने के बाद प्री क्वार्टरफाइनल में इंडोनेशिया के सेतियावान सेतियावान को 6-2 से हराया।

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हरियाणा में अजीत नगर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरविंदर जब डेढ़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाये गये थे। दुर्भाग्य से इन इंजेक्शन के कुप्रभावों से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई। शुरूआती चुनौतियों के बावजूद वह तीरंदाजी में आ गये और 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण में सातवें स्थान पर रहे। फिर 2018 जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे और कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में उनके पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया ताकि वह ट्रेनिंग कर सकें। मंगलवार को बीती रात विश्व चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता दीप्ति जीवनजी के एथलेटिक्स की महिला 400 मीटर टी20 स्पर्धा में 55.82 सेकेंड के समय के साथ कांस्य पदक जीतने के बाद भारत ने पुरुषों की ऊंची कूद टी63 और भाला फेंक एफ46 में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते।

शरद कुमार और मरियप्पन थांगवेलु ने पुरुषों की ऊंची कूद टी63 में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता जबकि अजीत सिंह और सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंक एफ46 फाइनल में दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। एफ46 वर्ग में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनकी भुजाओं में कमजोरी और मांसपेशियां कमजोर होती है जिससे वे खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

सिमरन महिला 100 मीटर टी12 स्पर्धा के सेमीफाइनल में

सिमरन ने पहले दौर की हीट एक में शीर्ष पर रहते हुए महिला 100 मीटर टी12 स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाई। सिमरन 12.17 सेकेंड का सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार खिलाड़ियों की पहली हीट (शुरुआती दौर की रेस) में शीर्ष पर रहीं। समय से पहले जन्मी सिमरन दृष्टि बाधित हैं। वह कुल मिलाकर दूसरे स्थान पर रहीं। पैरालंपिक चैंपियन और विश्व रिकॉर्ड धारक क्यूबा की ओमारा डूरंड 16 खिलाड़ियों के बीच 11.87 सेकेंड के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ शीर्ष पर रहीं। सेमीफाइनल गुरुवार को खेला जाएगा। टी12 श्रेणी उन खिलाड़ियों के लिए है जिनकी दृष्टि बाधित है।

टोक्यो रजत पदक विजेता भाविना बाहर

पेरिस पैरालम्पिक महिला एकल टेबल टेनिस में भारत की चुनौती खत्म हो गई जब तोक्यो पैरालम्पिक की रजत पदक विजेता भाविनाबेन पटेल क्लास 4 क्वार्टर फाइनल में चीन की यिंग झोउ से 1-3 से हार गई। टोक्यो पैरालम्पिक में रजत के साथ इस खेल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी भाविनाबेन को 12 . 14, 9 . 11, 11 . 8, 6 . 11 से पराजय झेलनी पड़ी । इससे पहले क्लास 3 में भारत की सोनलबेन पटेल को क्रोएशिया की एंडेला मुजिनिच विंसेटिच ने हराया । महिला युगल में भारत की भाविनाबेन और सोनलबेन क्वार्टर फाइनल में कोरिया की यंग ए जुंग और एस मून से हार गई । भाविनाबेन एक साल की उम्र से पोलियो से जूझ रही है । वह व्हीलचेयर पर निर्भर खिलाड़ियों की श्रेणी में खेलती हैं ।

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निशानेबाजी में कोई पदक नहीं

वहीं शेटराउ में भारतीय निशानेबाज निहाल सिंह और रूद्रांक्ष खंडेलवाल मिश्रित 50 मीटर पिस्टल (एसएच1) स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने में विफल रहे। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता निहाल छह सीरीज में 522 अंक के स्कोर से क्वालीफिकेशन दौर में 19वें स्थान पर रहे। अपने पहले पैरालंपिक में हिस्सा ले रहे 17 वर्षीय रूद्रांक्ष 517 अंक के स्कोर से क्वलीफिकेशन दौर में 22वें स्थान पर रहे। रूंद्राक्ष आठ साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवा बैठे थे। एसएच1 वर्ग में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिन्हें अपनी बंदूक उठाने में मुश्किल होती है और वे बैठकर (व्हीलचेयर या कुर्सी पर) या खड़े होकर निशाना लगाते हैं। नियम के अनुसार एसएच1 वर्ग में एथलीट पिस्टल या राइफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। भारतीय पैरा निशानेबाजों ने अब तक पेरिस पैरालंपिक में चार पदक जीते है जिसमें एक स्वर्ण और एक रजत शामिल है।

पावरलिफ्टर सकीना खातून सातवें, परमजीत आठवें स्थान पर

भारतीय पावरलिफ्टर सकीना खातून और परमजीत कुमार अपने-अपने भार वर्ग में क्रमश: सातवें और आठवें स्थान पर रहते हुए पदक जीतने में नाकाम रहे। राष्ट्रमंडल खेल 2014 की कांस्य पदक विजेता 35 वर्षीय सकीना अपने तीन प्रयासों में केवल एक ही बार सफलतापूर्वक वजन उठा सकीं। महिलाओं की 45 किग्रा स्पर्धा में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास 86 किग्रा रहा। वह अपने दूसरे और तीसरे प्रयास में क्रमशः 90 किग्रा और 92 किग्रा वजन उठाने में विफल रहीं।एशियाई पैरा खेल 2018 की रजत पदक विजेता सकीना ने तीन साल पहले तोक्यो खेलों में 93 किग्रा भार उठाया था। उन्हें बचपन में पोलियो हो गया था। चीन की लिंगलिंग गुओ ने 123 किग्रा का विश्व रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता। पुरुषों की 49 किग्रा स्पर्धा में प्रतिस्पर्धा करते हुए परमजीत अपने पहले प्रयास में 150 किग्रा के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ नौ खिलाड़ियों के बीच आठवें स्थान पर रहे। दो साल की उम्र में दोनों पैरों में पोलियो होने के कारण परमजीत को बचपन से ही बैसाखी, व्हीलचेयर और तिपहिया वाहन का सहारा लेना पड़ा। सकीना की तरह 2018 एशियाई पैरा खेलों के कांस्य पदक विजेता परमजीत भी सिर्फ एक बार वैध तरीके से भार उठा पाए। पावरलिफ्टिंग उन खिलाड़ियों के लिए होता है जिनके पैरों या कूल्हों में कोई शारीरिक कमी है, जो उन्हें सक्षम (खड़े होकर) भारोत्तोलन में प्रतिस्पर्धा करने से रोकती है। पावरलिफ्टिंग में केवल एक ही खेल वर्ग है, लेकिन खिलाड़ी अलग-अलग भार श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करते हैं।

 

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