मुंबई, 30 अक्टूबर (भाषा) न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-2 से पिछड़कर घरेलू श्रृंखला गंवा चुकी भारतीय टीम ने स्टीक गेंदबाजी कर रहे मेहमान टीम के गेंदबाजों, विशेषकर स्पिनरों के खिलाफ बल्लेबाजों के प्रदर्शन सुधार के लिए जमकर पसीना बहाया क्योंकि यहां तीसरे टेस्ट में भी स्पिन की अनुकूल पिच होने की चर्चा है।
वानखेड़े स्टेडियम में नेट सत्र से पता चलता है कि शुक्रवार से शुरू हो रहे अंतिम टेस्ट से पहले टीम प्रबंधन कितना तत्पर है क्योंकि विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे अनुभवी बल्लेबाज इस टेस्ट श्रृंखला में अब तक उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।
नेट सत्र से पहले उन्होंने मैदानकर्मियों को चार अभ्यास नेट पर अतिरिक्त सफेद लाइन खींचने के लिए कहा। ऐसा आम तौर पर इसलिए किया जाता है जिससे कि बल्लेबाजों को गेंद की लाइन और लेंथ की जानकारी रहे।
बेंगलुरू में पहले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों ने सटीक लाइन और उछाल लेती गेंदों के खिलाफ घुटने टेके जबकि पुणे में दूसरे मुकाबले में बाएं हाथ के स्पिनर मिशेल सेंटनर ने दो पारियों में 13 विकेट चटकाए।
पारंपरिक स्पिन के विपरीत भारतीय बल्लेबाजों के पास सेंटनर की गेंदों का कोई जवाब नहीं था जो एमसीए स्टेडियम की पिच पर एक ही स्थान पर गिर रहीं थी लेकिन कुछ टर्न कर रहीं थी जबकि कुछ सीधी निकल रहीं थी।
यह स्पष्ट है कि मुख्य कोच गौतम गंभीर चाहते हैं कि उनके बल्लेबाज अंतिम टेस्ट में बेहतर तैयारी के साथ उतरें।
भारत के सहायक कोच अभिषेक नायर ने अपने खिलाड़ियों की परेशानियों पर कहा कि स्पिनरों के हाथों पर करीबी नजर रखना महत्वपूर्ण है।
नायर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘आपको यह समझने की जरूरत है कि जब कुछ गेंद टर्न ले रही हों और तो कुछ गेंद सीधी जा रही हों तो यह आपके दिमाग से खेलती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय बल्लेबाज के लिए यह समझना बेहद महत्वपूर्ण होता है कि गेंद हाथ से कैसे छूट रही है, कौन सी गेंद सीधी जाएगी और कौन सी अधिक स्पिन होगी।’’
नायर ने कहा कि बल्लेबाज इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से भी सक्षम होना चाहिए।
भारत ने 25 नेट गेंदबाज बुलाए जिसमें स्थानीय स्पिनर और तेज गेंदबाजों का अच्छा मिश्रण था। इन्होंने सीनियर खिलाड़ियों को लगभगत तीन घंटे तक अभ्यास कराया।
मोहम्मद सिराज सहित भारतीय टीम के लगभग प्रत्येक सदस्य ने लंबे समय तक बल्लेबाजी की। सिराज कोहली के बल्ले से खेलने उतरे और कुछ बड़े शॉट लगाए।
तो क्या मुंबई में वाकई स्पिन की अनुकूल पिच की संभावना है? हालांकि पिच पढ़ना आसान नहीं होता लेकिन संकेत इस ओर इशारा करते हैं।
सुबह के समय पिच पर घास की अच्छी खासी परत थी लेकिन जल्द ही भारी रोलर से इसे नीचे गिरा दिया गया। ऐसा माना जाता है कि यह सतह से नमी सोख लेता है जिसे पिच पर, खास तौर पर बीच के हिस्से में चलाया गया।
मैदानकर्मियों ने सतह पर पानी का हल्का छिड़काव किया और फिर थोड़ी देर के लिए हल्के रोलर का इस्तेमाल किया गया। सूरज की तपिश के बीच पिच को कवर से ढका गया।
भाषा
सुधीर आनन्द
आनन्द
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