क्रिकेट वर्ल्ड कप में इन खिलाड़ियों को अगर मौका मिलता, तो फाइनल की टीम कोई और होती | If these players got the chance in the Cricket World Cup, then the final team was someone else

क्रिकेट वर्ल्ड कप में इन खिलाड़ियों को अगर मौका मिलता, तो फाइनल की टीम कोई और होती

क्रिकेट वर्ल्ड कप में इन खिलाड़ियों को अगर मौका मिलता, तो फाइनल की टीम कोई और होती

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : July 14, 2019/12:19 pm IST

नई दिल्ली।  इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला खेला जा रहा है। भारत वर्ल्ड कप के सेमिफाइनल मैच में हारकर फाइनल की रेस से बाहर हो गया है। अगर टीम में इन खिलाड़ियों को खेलने का अवसर मिलता तो आज तस्वीर कुछ अलग होती। वर्ल्ड कप में कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे जिन्हें खेलने के कम अवसर मिले। आइए उन पांच खिलाड़ियों पर एक नजर डालते हैं, जो अपनी टीम की ओर से अधिक अवसरों के हकदार थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला, अगर उन्हें कुछ और मौके मिले होते तो वो भी शायद इस विश्व कप में अपने प्रदर्शन से छाए रहते।

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पाकिस्तान टीम की बात करें तो टीम के पास एक बेहतरीन बल्लेबाज था, जिसे बाद में मौका मिला तो उसने रन बनाए। हारिस सोहेल को वेस्टइंडीज के खिलाफ फेल होने के बाद कुछ मैचों के लिए बैठा दिया गया। वेस्टइंडीज के खिलाफ सोहेल ने सिर्फ 8 रन बनाए थे। टूर्नामेंट के अंत में सोहेल ने 94.28 की बेहतरीन स्ट्राइक रेट के साथ 39.60 की औसत से 5 पारियों में 189 रन बनाए। यदि उन्हें पहले ही पाक टीम ने अपने अंतिम 11 में जगह दी होती, तो उसका मध्यक्रम मजबूत रहता।

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इस विश्व कप में वेस्टइंडीज ने कैसा प्रदर्शन किया, यह कई लोगों को याद नहीं है क्योंकि कैरेबियाई सेना ने कुछ खास खेल नहीं दिखाया, लेकिन शेल्डन कॉटरेल ने शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया। हालांकि वेस्टइंडीज ने अपने अनुभवी खिलाड़ी को कम मौके दिए।केमार रोच के अनुभव को टीम को पहले ही इस्तेमाल करना चाहिए था। रोच ने इस विश्व कप में 3 मैच खेले, इसमें उन्होंने 18.5 की औसत और 3.70 की शानदार इकॉनामी के साथ 6 विकेट चटकाए। श्रीलंका के लिए यह विश्व कप निराशाजनक रहा, वो 9 मैचों में से केवल तीन जीत सके। कुशल परेरा के अलावा कोई भी बल्लेबाज रंग में नजर नहीं आया। कुसल मेंडिस और एंजेलो मैथ्यूज जैसे खिलाड़ी ज्यादातर असफल रहे।

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इंग्लैंड के खिलाफ मिली जीत में थिरिमाने की जगह युवा अविष्का फर्नांडो को नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने के लिए लाया गया। युवा फर्नांडो ने 32 गेंद में 49 रन बनाकर पारी को मजबूती दी। उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक बनाया। कुल मिलाकर, दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 50.75 की औसत से 4 पारियों 105.72 के शानदार स्ट्राइक रेट से 204 रन बनाए। अगर उन्हें ज्यादा मौके दिए जाते तो श्रीलंका को सेमीफाइनल में जगह बनाने में शायद कामयाब मिल जाती।

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टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को इस विश्व कप में सिर्फ दो मैच खेलने का मौका मिला। जडेजा ने दो ही मैच में दिखा दिया कि टीम इंडिया का मैनेजमेंट उन्हें बेंच पर बैठाकर कितनी बड़ी गलती कर रहा था। जडेजा ने सेमीफाइनल में जो न्यूजीलैंड के खिलाफ पारी खेली वो दर्शनीय पारी थी। जडेजा ने दो मैच खेले और 77 रन बनाए। सेमीफाइनल में जडेजा ने 10 ओवर में 34 रन देकर एक विकेट भी चटकाए। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट के दौरान सब्सटियूट फील्डिंग करते हुए 44 रन भी बचाए।

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जिस तरह का प्रदर्शन जडेजा ने किया, अगर उन्हें और पहले खेलने का मिला होता, तो वह भी अपने प्रदर्शन से छाप छोड़ने में सफल रहते। 4 मैचों में 14 विकेट और 5.48 की इकॉनमी। ये आंकड़े बताते हैं कि मोहम्मद शमी ने विश्व कप में किस तरह का प्रदर्शन किया। शमी ने आखिरी ओवर में हैट्रिक लेते हुए लो-स्कोरिंग थ्रिलर मैच में अफगानिस्तान के खिलाफ टीम को करीबी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

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उन्होंने अगले मैच में विंडीज के खिलाफ 16 रन पर 4 विकेट लिए थे। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ 5 विकेट चटकाया था। भुवी की वजह से शमी को अनदेखा किया गया। उन्हें उतने मौके नहीं मिले, जितने के शमी हकदार थे। अगर इन खिलाड़ियों को मौका मिलता तो ये खिलाड़ी अपने बेहरत प्रदर्शन से अपना छाप तो छोड़ते ही, फाइनल में पहुंची टीम भी अलग होती।

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