कांस्य पदक से खुश हूं लेकिन संतुष्ट नहीं: सिमरन |

कांस्य पदक से खुश हूं लेकिन संतुष्ट नहीं: सिमरन

कांस्य पदक से खुश हूं लेकिन संतुष्ट नहीं: सिमरन

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Modified Date: January 16, 2025 / 07:54 PM IST
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Published Date: January 16, 2025 7:54 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) पेरिस पैरालंपिक 2024 की कांस्य पदक विजेता एथलीट सिमरन शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने से खुश हैं लेकिन संतुष्ट नहीं और उन्हें संतुष्टि स्वर्ण पदक जीतकर ही मिलेगी।

सिमरन ने पेरिस में 200 मीटर टी12 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता जो दृष्टि बाधित खिलाड़ियों की स्पर्धा है।

अर्जुन पुरस्कार के लिए चुनी गई सिमरन ने साथ ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में पुरस्कार और प्रोत्साहन की अहमियत पर भी जोर दिया।

सिमरन ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘खिलाड़ी के लिए ही नहीं बल्कि किसी भी बच्चे को, किसी भी क्षेत्र में प्रोत्साहन दिया जाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका बच्चा अगर कुछ भी अच्छा कर रहा है तो उसे इनाम दो, यह उसे भविष्य में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए किसी को भी पुरस्कृत किया जाना महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जब कांस्य पदक जीता तो मुझे लगा कि मैं इससे खुश हूं लेकिन संतुष्ट नहीं हूं। मुझे भारत के लिए पदक जीतने की खुशी है लेकिन संतुष्टि शायद उस समय मिलेगी जब तिरंगा बीच में होगा और राष्ट्रगान बजेगा।’’

सिमरन ने कहा कि सरकार से भी अब खिलाड़ियों को काफी प्रोत्साहन मिल रहा है जिससे उनका मनोबल बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अगर आप संतुष्ट हो जाओगे तो आगे नहीं बढ़ पाओगे। सरकार भी अब खिलाड़ियों पर काफी ध्यान दे रही है। पैरालंपिक के लिए जाने और वहां से आने के बाद प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) हमारे साथ बात करते हैं जिससे काफी प्रेरणा मिलती है।’’

सिमरन ने कहा, ‘‘जब तोक्यो 2020 में पदक नहीं आया था तो मोदी जी ने कहा था कि अच्छा हुआ बेटा पदक नहीं आया क्योंकि शायद इसकी कद्र नहीं होती, अगली बार जब तुम पदक जीतोगी तो उस पदक की कद्र होगी। जब विदेशी खिलाड़ियों को पता चलता है तो वे हैरान होते हैं कि आपके प्रधानमंत्री आपसे बात करते हैं। मैं उन्हें बताती हूं कि वह सभी से बात करते हैं, सिर्फ पदक जीतने वालों से नहीं। वह सभी खिलाड़ियों का हौसला भी बढ़ाते हैं।’’

पैरा खेलों की 200 मीटर टी12 स्पर्धा में धावक एक अन्य धावक की सहायता से दौड़ता है जिसे ‘गाइड रनर’ कहते हैं। इस स्पर्धा में गाइड रनर के साथ सामंजस्य काफी महत्वपूर्ण होता है।

सिमरन ने कहा, ‘‘हमारी स्पर्धा में गाइड रनर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। इस स्पर्धा में उसके गलती करने की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर वह कोई गलती करता है तो उसकी भरपाई मुझे करनी पड़ेगी और अगर मैं कोई गलती करती हूं तो उसे। हमारी ट्रेनिंग भी इसी तरह होती है। हम सीधे किसी स्पर्धा में नहीं उतरते। हम एक साथ काफी तैयारी करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे साथ उसे भी तैयारी करनी होती है क्योंकि काफी तकनीकी चीजें होती हैं। अगर उसने मेरे से पहले रेस शुरू कर दी तो हम डिस्वालीफाई हो सकते हैं, लाइन बदलने पर भी ऐसा हो सकता है और हमारे हाथ का बैंड छूटने पर भी हम डिस्क्वालीफाई हो सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि अकेले भागना आसान है जबकि जोड़ी में भागना मुश्किल है। इन सभी में कोच की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि उसे हमें बारीकियों के बारे में बताना होता है।’’

सिमरन ने अपनी सफलता में का श्रेय अपने पति को दिया जो भारतीय सेना से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक महिला खिलाड़ी की सफलता में उसे मिलने वाले समर्थन की अहमियत काफी अधिक होती है। किसी खिलाड़ी के पीछे उसके पिता होते हैं, किसी के पीछे भाई तो किसी के साथ मां। किसी ना किसी का समर्थन जरूरी है, मेरे साथ मेरे पति हैं। लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए चीजें थोड़ी मुश्किल हैं। शादी के बाद सामाजिक जीवन भी देखना पड़ता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कभी नहीं सोचती कि क्या होगा क्योंकि मुझे पता है कि मेरा पति संभाल लेगा। 2017 में जब हमारी शादी हुई तो उससे पहले मेरे पति ने पूछा कि तुम क्या करना चाहती तो मैंने कहा कि मुझे अपनी टीशर्ट के पीछे इंडिया लिखवाना है। मैंने तो हवाबाजी में कह दिया था तो उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत मेहनत करनी होगी और फिर इसके बाद हमारे सफर की शुरुआत हुई। पैरालंपिक के बारे में बात करके मुझे पसीने आ जाते थे तो इन्होंने कहा कि मुझे पता है कि तू नहीं कर सकती लेकिन मुझे पता है कि मैं तेरे से करवा लूंगा।’’

भाषा

सुधीर नमिता

नमिता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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