नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) पूर्व विश्व रैपिड चैंपियन कोनेरू हम्पी का मानना है कि राष्ट्रीय महासंघ को उदीयमान खिलाड़ियों की पहचान करके उन्हें बढ़ावा देना चाहिए और महिला शतरंज प्रतिभाओं की अगली पीढ़ी को विकसित करने के लिए महिला टूर्नामेंट की संख्या में इजाफा करना चाहिए।
हाल के दिनों में आर प्रज्ञानानंदा और डी गुकेश जैसी युवा भारतीय प्रतिभाओं के साथ पुरुषों के खेल की लोकप्रियता में उछाल आया है जिन्होंने विश्व मंच पर धूम मचाई है।
इसके विपरीत महिलाओं के खेल में इस तरह की लोकप्रियता नहीं आई है जिसके कारण 37 वर्षीय हम्पी और 33 वर्षीय हरिका द्रोणावल्ली को अब भी शीर्ष महिला खिलाड़ी के तौर पर देखा जाता है।
हम्पी ने पीटीआई से कहा, ‘‘महिला खिलाड़ियों का प्रतिशत काफी कम है। मुझे लगता है कि हमें ज्यादा महिला टूर्नामेंट आयोजित करने की जरूरत है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रतिभाशाली महिला खिलाड़ियों को चुनने और उन्हें ट्रेनिंग देने की जरूरत है। अगली पीढ़ी की टीम बनाने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण चीज है, वर्ना हमारे पास दो या तीन ही मजबूत खिलाड़ी होंगी। ’’
हम्पी ने कहा, ‘‘लेकिन अगर आप अगली पीढ़ी पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं तो काफी ज्यादा अंतर आ जायेगा। आप अगले 10-15 वर्षों तक खिलाड़ियों को फिर से आते हुए नहीं देखेंगे। चीन और भारत के बीच यही अंतर है। ’’
उन्होंने चीन का उदाहरण दिया जो सोवियत संघ के अलग होने के बाद से शतरंज की महाशक्ति बन गया है।
हम्पी ने कहा, ‘‘चीनी में एक के बाद एक प्रतिभा सामने आती रहती है। जब तक शीर्ष खिलाड़ी का करियर समाप्त होता है तब तक आप अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों को उभरते हुए देख सकते हैं। संभवतः महासंघ को महिला शतरंज पर बहुत काम करने की जरूरत है। ’’
भाषा नमिता सुधीर
सुधीर
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ओलंपिक में भाग नहीं ले पाने के बाद आत्महत्या के…
26 mins agoपीएसपीबी, आरएसपीबी, एसएससीबी और एफसीआई सेमीफाइनल
46 mins agoमुलानी शतक के करीब, भारत ए के स्टंप तक आठ…
1 hour ago