कोलकाता, 15 जनवरी (भाषा) इंडियन सुपर लीग के आयोजकों पर ‘सौतेले बर्ताव’ का आरोप लगाते हुए ईस्ट बंगाल क्लब ने खेलमंत्री मनसुख मांडविया से दखल देने की मांग की है । क्लब ने यह भी कहा कि पक्षपात, ‘रिफ्यूजी क्लब’ के ठप्पे और रैफरिंग विवादों से भारत की इस शीर्ष फुटबॉल प्रतियोगिता में उनकी प्रगति बाधित हुई है ।
यह घटना गुवाहाटी में शनिवार को हुए मैच के दौरान की है जब ईस्ट बंगाल को चिर प्रतिद्वंद्वी मोहन बागान ने एक गोल से हरा दिया ।
क्लब ने दावा किया कि मैच में पक्षपातपूर्ण रैफरिंग की गई और उन्हें एक पेनल्टी नहीं दी गई जबकि मिडफील्डर सौविक चक्रवर्ती को विवादास्पद पीला कार्ड दिया गया जो बाद में लालकार्ड में बदल गया और टीम को दस खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा ।
खेलमंत्री मांडविया को की गई भावनात्मक अपील में ईस्ट बंगाल ने कहा ,‘‘ लड़ो, लड़ो और लड़ो । यह पिछले 150 साल से ईस्ट बंगाल क्लब का मोटो हो गया है । इस क्लब और इसके समर्थकों ने विभाजन से पहले और बाद के उथल-पुथल भरे दौर को अपनी जुझारू भावना के बल पर ही झेला है।’’
ईस्ट बंगाल के महासचिव रूपक साहा ने एक बयान में कहा ,‘‘ जबकि विस्थापित लोगों ने अपनी संपत्ति के लिए जी-जान से लड़ाई लड़ी, वहीं क्लब को देश के अग्रणी फुटबॉल क्लब के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए ‘शरणार्थी क्लब’ के कलंक और टैग से लड़ना पड़ा।’’
इसमें कहा गया ,‘‘ हमें आश्चर्य है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम ऐसी स्थिति में हैं जहां ईस्ट बंगाल क्लब को आईएसएल के लगभग हर मैच में प्रताड़ित किया जाता है। हम सोचने पर मजबूर हैं कि हमारे साथ ये सब क्यों हो रहा है, क्या इसलिए क्योंकि हमें अभी भी ‘शरणार्थियों का क्लब’ माना जाता है। पिछले 10-12 सालों में हमें पक्षपातपूर्ण रैफरिंग का खामियाजा भुगतना पड़ा है, चाहे वो आई-लीग हो या आईएसएल।’’
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