मौजूदा पीढ़ी के जिमनास्टों में जुनून की कमी: दीपा |

मौजूदा पीढ़ी के जिमनास्टों में जुनून की कमी: दीपा

मौजूदा पीढ़ी के जिमनास्टों में जुनून की कमी: दीपा

:   Modified Date:  October 19, 2024 / 12:38 PM IST, Published Date : October 19, 2024/12:38 pm IST

… फिलेम दीपक सिंह …

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) भारत की दिग्गज जिमनास्ट दीपा करमाकर ने मौजूदा पीढ़ी के ज्यादातर खिलाड़ियों में जुनून की कमी पर निराशा जातते हुए उनसे वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए उत्साह के साथ जिमनास्टिक को अपनाने की सलाह दी। दीपा ने इस महीने की सात तारीख को संन्यास की घोषणा की थी। रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर मामूली अंतर से पदक चूकने वाली दीपा नियमित रूप से अत्यधिक कठिन प्रोडुनोवा वॉल्ट करके लोगों को प्रभावित करती थीं। दीपा ने जब पूछा गया कि भारतीय महिला जिमनास्टों में दीपा और प्रणति नायक के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई और पदक क्यों नहीं जीत पा रहा है तो उन्होंने कहा, ‘‘ दीपा में जुनून था, प्रणति के साथ भी ऐसा ही है।’’ उन्होंने ‘वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन’ द्वारा आयोजित ‘बियॉन्ड द फिनिश लाइन’ नामक कार्यक्रम में शुक्रवार रात एक पैनल चर्चा के दौरान कहा, ‘‘ मैं मौजूदा पीढ़ी (जिम्नास्ट) में यह जुनून ज्यादा नहीं देख रही हूं। मुझे लगता है कि वे अल्पकालिक, तत्काल सफलता की तलाश में हैं।’’ त्रिपुरा की 31 वर्षीय खिलाड़ी ने 2016 रियो खेलों के वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर सुर्खियां बटोरी थीं जहां वह सिर्फ 0.15 अंक से ओलंपिक पदक से चूक गई थी। तोक्यो ओलंपियन प्रणति ने 2019 और 2022 एशियाई चैंपियनशिप में वॉल्ट स्पर्धा का कांस्य पदक जीता है। अगरतला की रहने वाली दीपा जिम्नास्टिक के इतिहास की केवल पांच महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने प्रोडुनोवा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है जिसमें जमीन पर उतरने से पहले दो बार ‘समरसॉल्ट’ करना होता है और इसे ‘वॉल्ट ऑफ डेथ’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें चोट लगने का जोखिम बहुत अधिक होता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय महासंघ की समस्याओं से भी भारतीय जिम्नास्टिक को परेशानी का सामना करना पड़ा है। दीपा ने कहा ‘‘ साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) और महासंघ के बीच समस्या थी। उदाहरण के तौर पर पिछले एशियाई खेलों (2023) के लिए चयन मानदंड के बारे में वास्तविक चयन ट्रायल के बाद पता चला।’’ इस खिलाड़ी से जब उनकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारतीय जिम्नास्टिक में बदलाव लाना चाहती हूं ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं न हों, लेकिन मैं अकेले ऐसा नहीं कर सकती।’’ दीपा ने संन्यास की घोषणा के समय कहा था कि वह अपने जीवन में किसी समय कोच बनकर खेल को कुछ वापस देना चाहेंगी। इस साल मई में ताशकंद में एशियाई कलात्मक जिमनास्टिक चैंपियनशिप में वॉल्ट स्वर्ण पदक जीतने वाली दीपा से संन्यास लेने के फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी दो एसीएल सर्जरी हुई, कंधे और टखने में चोट लगी। मैं वॉल्ट स्पर्धा में उस तरह से नहीं कर पा रही थी जैसा मैं चाहती थी। जब शरीर जोर लगाने की इजाजत नहीं दे रहा है तो जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।’’ भाषा आनन्द आनन्द

 

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