मौजूदा दौर के भारतीय शतरंज खिलाड़ी मौके का फायदा उठाने में माहिर: विश्वनाथ आनंद |

मौजूदा दौर के भारतीय शतरंज खिलाड़ी मौके का फायदा उठाने में माहिर: विश्वनाथ आनंद

मौजूदा दौर के भारतीय शतरंज खिलाड़ी मौके का फायदा उठाने में माहिर: विश्वनाथ आनंद

:   Modified Date:  September 10, 2024 / 06:53 PM IST, Published Date : September 10, 2024/6:53 pm IST

… पूनम मेहरा…

नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) विश्व चैंपियन प्रतियोगी से ‘मार्गदर्शक-सह-खेल प्रशासक’ के रूप में ‘धीरे-धीरे ढल’  रहे दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का मानना है कि भारतीय खिलाड़ियों की वर्तमान पीढ़ी मौके को भुनाने के मामले में  काफी माहिर है। भारत के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक 54 साल के आनंद अगले महीने लंदन में होने वाली टेक-महिंद्रा ग्लोबल शतरंज लीग में चुनौती पेश करने के लिए तैयार है जहां वह गंगा ग्रैंडमास्टर्स टीम का हिस्सा होंगे। पांच बार के विश्व चैम्पियन आनंद ने ‘पीटीआई’ को दिये साक्षात्कार में बुधवार से शुरू होने वाले शतरंज ओलंपियाड में भारत की संभावनाओं, देश के ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के प्रदर्शन, युवा खिलाड़ियों की स्वर्णिम पीढ़ी को तैयार करने  और आगे बढ़ने की योजनाओं पर अपने विचार साझा किए। अब तक के सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियनशिप चैलेंजर डी गुकेश और आर प्रज्ञानानंदा जैसे खिलाड़ियों के करियर को आकार देने का श्रेय काफी हद तक आनंद को जाता है लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें उनकी भूमिका काफी सीमित है। इन खिलाड़ियों के विकास का श्रेय उनके निजी कोच और माता-पिता को जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा हूं, निश्चित रूप से चार साल पहले वेस्टब्रिज आनंद शतरंज अकादमी (डब्ल्यूएसीए) शुरू करने में सक्षम होना एक अच्छी परियोजना थी। यह उन स्कूलों से प्रेरित था जो मैंने 30-40 साल पहले सोवियत संघ में देखे थे।’’ उन्होंने कहा,‘‘मैंने कई जगहों से कुछ सीखने की कोशिश की। (उस समय) भारतीय खिलाड़ी लगातार शीर्ष 200 में आ रहे थे, लेकिन शीर्ष 100 में नहीं पहुंच पा रहे थे। मैं प्रतिभा का समर्थन कर के इस दूरी को पाटने की कोशिश कर रहा था।’’ आनंद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम सफल रहे हैं। हमारे लिए यह बहुत रोमांचक है कि गुकेश पहले से ही विश्व चैंपियनशिप खेल रहा है।  इसमें हालांकि बहुत सारे लोगों का सहयोग है। इसमें सिर्फ डब्ल्यूएसीए शामिल नहीं है, इसमें उसके माता-पिता, उनके कोच भी शामिल है। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते है कि हम सही तरीके से तालमेल बिठा सके।’’ गुकेश, प्रज्ञानानंदा और एक अन्य युवा स्टार आर वैशाली बुडापेस्ट में शतरंज ओलंपियाड में प्रतिस्पर्धा करेंगे। आनंद को उम्मीद है कि परिणाम 2022 सत्र से बेहतर होंगे जब पुरुष और महिला दोनों टीमों ने कांस्य पदक जीते थे। आनंद ने कहा, ‘‘ हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि पिछले साल हम दोनों वर्ग में स्वर्ण पदक की दौड़ में थे। पुरुष वर्ग में हम अंतिम दो दौर से पहले तक स्वर्ण पदक जीतने की स्थिति में थे। महिला वर्ग में हम अंतिम दौर तक शीर्ष स्थान हासिल करने की स्थिति में थे। ’’ आनंद से जब सूर्य शेखर गांगुली, के शशिकिरण और संदीपन चंदा जैसे दिग्गजों के मुकाबले मौजूदा पीढ़ी के खिलाड़ियों की बड़ी सफलता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर के खिलाड़ी मौकों को भुनाने के मामले में शानदार है। उन्होंने हालांकि इन खिलाड़ियों की सफलता का श्रेय काफी हद तक अतीत के सितारों को देते हुए कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि पिछली पीढ़ी के कई लोग इन युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं, इसलिए एक तरह से इस पीढ़ी की सफलता का श्रेय उन्हें भी जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘…. उनमें से कई खिलाड़ियों का अपना करियर बहुत अच्छा था। वे अक्सर शीर्ष खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करते थे। लेकिन आप जानते हैं, कभी-कभी खेलों में, परिणाम प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं होता…जब कोई अवसर पास आता है, तो आपको बस उसे दोनों हाथों से लपकना होता हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ गुकेश ने कैंडिडेट प्रतियोगिता में खुद को शानदार तरीके से साबित किया। वह ना तो जीत का दावेदार था, ना ही अनुभवी था। लेकिन जब उसे मौका मिला तो उसने उसे हाथ से जाने नहीं दिया। ऐसे में आपको अपना मौका बनाना पड़ता है और इस मामले में मैं वर्तमान पीढ़ी से काफी खुश हूं।’’ वैश्विक मौजूदगी के बावजूद शतरंज कभी ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं रहा है क्योंकि इसमें एथलेटिज्म (शारीरिक गतिविधि) नहीं रहा है जिसके लिए ओलंपिक खेलों को जाना जाता है। आनंद को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इस मामले में बदलाव आयेगा। आनंद ने ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की तारीफ की। शतरंज के वैश्विक निकाय फिडे के उपाध्यक्ष आनंद ने कहा, ‘‘ओलंपिक में शामिल होने के लिए शतरंज का दावा बहुत मजबूत है। हमारे पास कुछ विकल्प हैं। इसे  ग्रीष्मकालीन या शीतकालीन खेलों में शामिल किया जा सकता है। इसके लिए ‘ई-स्पोर्ट्स गेम्स’ भी एक विकल्प हो सकता है।’’ उन्होंने भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों के द्वारा जीते गये 29 पदकों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं इन खेलों के दौरान कई बेहतरीन पलों का गवाह रहा हूं। ओलंपिक में मुझे लगता है कि हमारे पास 15 पदक जीतने की संभावना थी लेकिन हमने उससे काफी कम हासिल किया जबकि पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों में वास्तव में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी सामना करने और फिर भी डटे रहने की क्षमता काफी प्रेरणादायक है। जैसे शीतल (भुजाहीन तीरंदाज शीतल देवी) की ‘बुल्स आई’ वाले पल हमेशा आपके दिमाग में रहते हैं।’’ खेल से आंशिक तौर पर संन्यास ले चुके आनंद ने कहा कि वह अगले महीने जीसीएल में भाग लेने का इंतजार कर रहे हैं, जहां मैग्नस कार्लसन जैसे कुछ शीर्ष अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी प्रतिस्पर्धा करेंगे। आनंद ने कहा कि उन्हें इस साल की शुरुआत में 10वीं बार जीतने के बाद अगले साल स्पेन में लियोन मास्टर्स में प्रतिस्पर्धा करने की भी उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अगले साल कुछ प्रतियोगिताएं खेलूंगा। मुझे अभी तक नहीं पता कि वे कौन सी होंगी। मुझे उम्मीद है कि मैं फिर से स्पेन में खेलूंगा। आंशिक रूप से संन्यास का मतलब है कि मैं एक ही बार खेल को अलविदा कहने के बजाय धीरे-धीरे बदलाव कर रहा हूं, मैं खुद को गति दे रहा हूं।’’ भाषा आनन्द मोनामोना

 

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