अवनि की अगुवाई में निशानेबाजों का शानदार प्रदर्शन, प्रीति ने ट्रैक में देश को पहला पदक दिलाया |

अवनि की अगुवाई में निशानेबाजों का शानदार प्रदर्शन, प्रीति ने ट्रैक में देश को पहला पदक दिलाया

अवनि की अगुवाई में निशानेबाजों का शानदार प्रदर्शन, प्रीति ने ट्रैक में देश को पहला पदक दिलाया

:   Modified Date:  August 30, 2024 / 09:11 PM IST, Published Date : August 30, 2024/9:11 pm IST

पेरिस/शेटराउ, 30 अगस्त (भाषा) ‘वंडर गर्ल’ अवनि लेखरा पैरालम्पिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई जिन्होंने तोक्यो के बाद पेरिस पैरालम्पिक में भी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता जबकि भारत की ही मोना अग्रवाल ने इस स्पर्धा का कांस्य पदक जीतकर दिन को यादगार बना दिया।

मनीष नरवाल पुरूषों की 10 मीटर एयर पिस्टल (एसएच 1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने से चूक गये लेकिन प्रीति पाल ने महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से कांस्य पदक जीतकर भारत को पैरालंपिक की ट्रैक स्पर्धा में पहला एथलेटिक्स पदक दिलाया।

तीन साल पहले तोक्यो में स्वर्ण जीतने वाली 22 वर्ष की अवनि ने 249 . 7 का स्कोर करके अपना ही 249 . 6 का पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त किया । वहीं शॉटपुट, पावरलिफ्टिंग और व्हीलचेयर वॉलीबॉल के बाद दो साल पहले निशानेबाजी में पदार्पण करने वाली मोना ने 228 . 7 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता ।

भारत के पैरालंपिक इतिहास में पहली बार दो निशानेबाजों ने एक ही स्पर्धा में पदक जीते हैं ।

जयपुर की रहने वाली अवनि पैरालम्पिक से पहले स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं । उनकी पित्त की थैली की सर्जरी हुई जिसकी वजह से उन्हें डेढ महीने ब्रेक लेना पड़ा था । सर्जरी की वजह से उनका काफी वजन भी कम हुआ लेकिन तमाम कठिनाइयों का डटकर सामना करते हुए उन्होंने पेरिस में भारत का परचम लहराया ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं देश के लिये पदक जीतकर खुश हूं । अपनी टीम, अपने कोचों और अपने परिवार को धन्यवाद देना चाहती हूं ।’’

ग्यारह वर्ष की उम्र में कार दुर्घटना में कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मारने के कारण अवनि व्हीलचेयर पर निर्भर हैं । वह तोक्यो पैरालम्पिक 2021 में निशानेबाजी में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बनी थी ।

एसएच 1 वर्ग में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी बाजुओं, कमर के निचले हिस्से , पैरों में विकृति होती है या उनकी बाजू नहीं होती है ।

क्वालीफिकेशन में गत चैम्पियन अवनि ने 625 . 8 स्कोर किया और वह इरिना एस के बाद दूसरे स्थान पर रही ।

दो बार विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मोना ने क्वालीफिकेशन में 623 . 1 स्कोर करके पांचवां स्थान हासिल किया था ।

अवनि ने ऐतिहासिक जीत के बाद कहा, ‘‘यह बहुत करीबी फाइनल था। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए बहुत कम अंतर था। लेकिन मैं नतीजों के बजाय अपने विचारों पर ध्यान लगा रही थी। ’’

इस चैम्पियन निशानेबाज ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि इस बार भी एरीना में बजने वाला पहला राष्ट्रगान भारत का राष्ट्रगान था। मुझे अभी दो और स्पर्धाओं में हिस्सा लेना है इसलिए मैं देश के लिए और पदक जीतने पर ध्यान लगाये हूं।’’

वहीं अवनि के साथ कांस्य पदक जीतने वाली मोना अग्रवाल ने कहा, ‘‘काफी मुश्किल था लेकिन मैं सफल रही। इसलिये शुक्रिया। अवनि के साथ रहने निश्चित रूप से मदद की। वह एक चैम्पियन हैं और वह मुझे प्रेरित करती हैं। ’’

मोना (37 वर्ष) ने निशानेबाजी से पहले गोला फेंक, पावरलिफ्टिंग और व्हीलचेयर वॉलीबॉल सहित कई खेलों में हाथ आजमाया था।

मनीष स्वर्ण पदक से चूके

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तोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता मनीष नरवाल ने पेरिस पैरालंपिक में पुरूषों की 10 मीटर एयर पिस्टल (एसएच 1) स्पर्धा में रजत पदक जीता ।

बाईस वर्ष के नरवाल ने तोक्यो पैरालम्पिक में मिश्रित 50 मीटर पिस्टल एसएच 1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था ।

वह कुछ समय तक आगे चल रहे थे लेकिन कुछ खराब शॉट के कारण वह दक्षिण कोरिया के जो जियोंगडू से पिछड़ गए । भारत के निशानेबाज शिवा नरवाल के बड़े भाई मनीष ने 234 . 9 स्कोर किया जबकि जियोंगडू ने 237 . 4 स्कोर करके स्वर्ण पदक जीता ।

खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त नरवाल क्वालीफिकेशन दौर में 565 स्कोर करके पांचवें स्थान पर रहे थे ।

फरीदाबाद के रहने वाले नरवाल ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में कई पदक जीते हैं ।

भारत के रूद्रांक्ष खंडेलवाल फाइनल में जगह नहीं बना सके और 561 स्कोर करके नौवे स्थान पर रहे ।

एसएच 1 वर्ग में खिलाड़ी बिना किसी दिक्कत के पिस्टल उठा सकते हैं और व्हीलचेयर या चेयर पर से खड़े होकर या बैठकर निशाना लगाते हैं ।

ट्रैक स्पर्धा में देश को मिला पहला पदक

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प्रीति पाल ने महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से कांस्य पदक जीतकर भारत को पैरालंपिक की ट्रैक स्पर्धा में पहला एथलेटिक्स पदक दिलाया।

भारत ने 1984 चरण से एथलेटिक्स में जो भी पदक जीते हैं, वे सभी फील्ड स्पर्धा में मिले।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के किसान की बेटी प्रीति ने पैरालंपिक के दूसरे दिन भारत का एथलेटिक्स पदक का खाता खोला।

प्रीति मई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में इसी स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के बाद पेरिस आई थी।

चीन की झोऊ जिया (13.58) ने स्वर्ण और गुओ कियानकियान (13.74) ने रजत पदक जीता।

बैंडमिंटन और तीरंदाजी में खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन

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तोक्यो पैरालंपिक के रजत पदक विजेता सुहास यथिराज और नितेश कुमार ने शु्क्रवार को यहां पैरालंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए क्रमश: पुरुष एकल एसएल4 और एसएल3 वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

2007 बैच के आईएएस अधिकारी सुहास ने एसएल4 वर्ग में कोरिया के शिन क्यूंग हवान को दूसरे मैच में 26-24, 21-14 से शिकस्त देकर तीन खिलाड़ियों के ग्रुप ए में शीर्ष पर रहे।

वहीं नितेश ने चीन के यांग जियानयुआन को 21-5, 21-11 से हराया जिससे वह एसएल3 वर्ग के चार खिलाड़ियों के ग्रुप ए में शीर्ष दो में शामिल रहे। अब वह अपने अंतिम ग्रुप ए मैच में थाईलैंड की बुनसुन मोंगखोन से भिड़ेंगे।

एसलएल4 में ग्रुप के शीर्ष खिलाड़ी जबकि एसएल3 में प्रत्येक दो ग्रुप के शीर्ष दो खिलाड़ी सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करेंगे।

हालांकि मानसी जोशी और मनोज सरकार के लिए दिन निराशाजनक रहा जिन्हें लगातार दूसरे मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा जिससे उनकी अपने ग्रुप में सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीद टूट गई।

अनुभवी तीरंदाज राकेश कुमार ने पैरालम्पिक में कंपाउंड पुरूष ओपन वर्ग में सेनेगल के अलीयू ड्रेम को 136 . 131 से हराकर प्री क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया ।

पांचवीं वरीयता प्राप्त राकेश का सामना अब इंडोनेशिया के केन स्वागुमिलांग से होगा ।

भाषा आनन्द नमिता

नमिता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)