BCCI का बड़ा फैसला, टेस्ट मैच खेलने वाले इन खिलाड़ियों को मिलेंगे 15 की जगह 45 लाख रुपए |

BCCI का बड़ा फैसला, टेस्ट मैच खेलने वाले इन खिलाड़ियों को मिलेंगे 15 की जगह 45 लाख रुपए

BCCI : बीसीसीआई ने टेस्ट मैच प्रोत्साहन राशि तिगुनी कर 45 लाख रु की, योजना की लागत 45 करोड़ रु होगी

Edited By :   Modified Date:  March 9, 2024 / 10:09 PM IST, Published Date : March 9, 2024/9:31 pm IST

धर्मशाला। टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देने के वादे पर खरे उतरते हुए भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने उन खिलाड़ियों के लिए प्रत्येक मैच 45 लाख रुपये का प्रोत्साहन देने का फैसला किया जो हर सत्र में निर्धारित 75 प्रतिशत या इससे ज्यादा मैच खेलते हैं। सचिव जय शाह ने शनिवार को इसकी घोषणा की. एक टेस्ट खिलाड़ी जो एक सत्र में लगभग 10 टेस्ट मैच में हिस्सा लेता है, उसे बतौर प्रोत्साहन 4.50 करोड़ रुपये की मोटी धनराशि मिलेगी जो उसकी संभावित 1.5 करोड़ रुपये की मैच फीस (प्रत्येक मैच 15 लाख रुपये) से इतर होगी।

अनुभवी क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा और उमेश यादव को इस साल अनुबंध नहीं मिला है तो उन्हें पिछले सत्र के लिए उनकी ‘प्रोत्साहन’ राशि दी जायेगी। साथ ही शीर्ष क्रिकेटरों को सालाना केंद्रीय अनुबंध के अंतर्गत ‘रिटेनर फीस’ भी मिलेगी। शाह ने कहा कि बोर्ड 2022-23 और 2023-24 सत्र के लिए करीब 45 करोड़ रुपये की राशि खर्च करेगा।

शाह ने यहां चुनिंदा पत्रकारों के ग्रुप से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘इस योजना से खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) अनुबंध से कहीं ज्यादा कमाई होगी। यह दिखाता है कि आईपीएल महत्वपूर्ण है लेकिन द्विपक्षीय क्रिकेट भी बहुत जरूरी है। इसमें कुल राशि 45 करोड़ रुपये खर्च होगी। ’’

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शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मुझे सीनियर पुरुष टीम के लिए ‘टेस्ट क्रिकेट प्रोत्साहन योजना’ की शुरूआत करने की घोषणा करके खुशी हो रही है क्योंकि यह कदम हमारे खिलाड़ियों को वित्तीय विकास और स्थिरता मुहैया कराने के उद्देश्य से उठाया गया है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘2022-23 सत्र से ‘टेस्ट क्रिकेट प्रोत्साहन योजना’ टेस्ट मैच के लिए मौजूदा 15 लाख रुपये की मैच फीस के लिए अतिरिक्त पुरस्कार के तौर पर काम करेगी। ’’ यह प्रोत्साहन पूर्वप्रभावी होगा जिसका असर 2022-23 सत्र के दौरान टेस्ट क्रिकेट में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों पर भी होगा।

उदाहरण के तौर पर भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने 2023-24 सत्र के दौरान सभी 10 टेस्ट (विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो दो, इंग्लैंड के खिलाफ पांच) खेले हैं तो उन्हें टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देने के लिए 1.5 करोड़ रुपये (15 लाख गुणा 10) की मैच फीस मिलेगी। उन्हें 4.5 करोड़ रुपये (45 लाख गुणा 10) भी मिलेंगे। इसलिये उनकी टेस्ट क्रिकेट से ही छह करोड़ रुपये की कमाई हो जायेगी।

इसमें अगर प्रत्येक सत्र की सात करोड़ रूपये की उनकी सालाना रिटेनरशिप भी जोड़ दी जाये तो उनकी कमाई 13 करोड़ रुपये हो जायेगी। यह निश्चित रूप से उनके एक सत्र में वनडे (प्रत्येक मैच आठ लाख रुपये) और टी20 अंतरराष्ट्रीय (प्रत्येक मैच चार लाख रुपये) मैच के लिए मिलने वाली राशि से इतर होगी।

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बीसीसीआई ने इस गणना को समझाते हुए एक सत्र में औसत नौ टेस्ट लिये हैं। अगर कोई इनमें से 50 प्रतिशत मैच (इसे देखते हुए चार या कम) खेलता है तो उसे 15 लाख रुपये (अंतिम एकादश में खेलने के लिए) मिलेंगे और रिजर्व खिलाड़ियों को इसकी आधी राशि मिलेगी। लेकिन अगर वह इनमें से 50 से 75 प्रतिशत मैच (नौ में से पांच से छह मैच) तो उसे प्रत्येक मैच 30 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

अगर एक खिलाड़ी ने एक सत्र में छह टेस्ट खेले तो उसे मौजूदा मैच फीस 90 लाख रुपये (15 लाख रुपये गुणा छह) और 1.8 करोड़ रुपये (30 लाख रुपये गुणा छह) का प्रोत्साहन मिलेगी जिससे उसे 2.70 करोड़ रुपये मिलेंगे। मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने बीसीसीआई के इस कदम का स्वागत करते हुए इसे मुश्किल प्रारूप खेलने का पुरस्कार करार किया।

द्रविड़ ने धर्मशाला में इंग्लैंड पर श्रृंखला में 4-1 की जीत के बाद कहा, ‘‘उम्मीद करता हूं कि यह राशि टेस्ट क्रिकेट खेलने का प्रोत्साहन नहीं होगी। यह देखना अच्छा है कि बीसीसीआई इस मुश्किल प्रारूप को तरजीह दे रहा है। यह पुरस्कार है प्रोत्साहन नहीं। ’’

यह फैसला कुछ खिलाड़ियों जैसे इशान किशन, श्रेयस अय्यर और दीपक चाहर के बोर्ड के लाल गेंद के क्रिकेट को प्राथमिकता देने के आदेश की अनदेखी के बाद लिया गया। ये खिलाड़ी रणजी ट्राफी क्रिकेट खेलने के बजाय अपनी इंडियन प्रीमियर लीग टीम के लिए ट्रेनिंग में जुटे थे।

जब द्रविड़ से अय्यर और किशन के टेस्ट भविष्य के बारे में पूछा गया तो द्रविड़ ने कहा, ‘‘रोहित और मैं अंतिम एकादश चुनते हैं। कभी कभार मुझे नहीं पता होता कि कौन खिलाड़ी अनुबंधित है और कौन नहीं। कोई भी खिलाड़ी योजना से बाहर नहीं है। ’’

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