सिडनी, पांच जनवरी (भाषा) शीर्ष खिलाड़ियों की खराब फॉर्म से जूझ रही भारतीय टीम रविवार को यहां पांचवें और अंतिम टेस्ट में छह विकेट की शिकस्त के साथ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल से बाहर हो गई जबकि ऑस्ट्रेलिया ने इस जीत के साथ 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीतकर डब्ल्यूटीसी फाइनल में जगह बनाई।
गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया अब 11 से 15 जून तक लॉर्ड्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलेगा।
कप्तान जसप्रीत बुमराह पीठ में जकड़न के बावजूद अगर गेंदबाजी करने की स्थिति में होते तो 162 रन का लक्ष्य मुश्किल हो सकता था लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में इस सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर इस स्कोर का बचाव करना लगभग असंभव था।
बुमराह को पांच मैच में 32 विकेट चटकाने के लिए श्रृंखला का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया लेकिन भारत के लचर प्रदर्शन के लिए यह कोई सांत्वना की स्थिति नहीं थी।
बुमराह की गैरमौजूदगी में प्रसिद्ध कृष्णा (65 रन पर तीन विकेट) और मोहम्मद सिराज (69 रन पर एक विकेट) मेजबान टीम के बल्लेबाजों पर दबाव बनाने में नाकाम रहे जबकि कप्तान की भूमिका निभा रहे विराट कोहली ने इन्हीं दोनों तेज गेंदबाजों पर भरोसा बरकरार रखा।
कुछ सफलताओं के बावजूद कृष्णा और सिराज ने कई खराब गेंदें फेंकी जिससे मेजबान टीम ने सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (41), ट्रेविस हेड (नाबाद 34) और पदार्पण करने वाले ब्यू वेबस्टर (नाबाद 39) की पारियों की बदौलत 27 ओवर में चार विकेट पर 162 रन बनाकर जीत दर्ज की। इसके साथ ही बुमराह पर भारत की अति निर्भरता भी उजागर हुई।
सुबह के वार्म-अप सत्र के दौरान बुमराह ने गेंदबाजी का प्रयास किया लेकिन वह सहज महसूस नहीं कर रहे थे और उनकी अनुपलब्धता से तय हो गया था कि भारत के लिए छोटे लक्ष्य का बचाव करना असंभव होगा।
इससे पहले स्कॉट बोलैंड (45 रन पर छह विकेट) और कप्तान पैट कमिंस (44 रन पर तीन विकेट) ने दूसरी पारी में भारत को 39.5 ओवर में सिर्फ 157 रन पर ढेर कर दिया।
अगर ऋषभ पंत के 61 और सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल के 22 रन को निकाल दिया जाए तो अन्य नौ खिलाड़ियों ने सामूहिक रूप से 74 रन का योगदान दिया।
भारतीय टीम ने सुबह के सत्र में सिर्फ 16 रन जोड़कर अपने बाकी बचे चार विकेट भी गंवा दिए।
यह श्रृंखला भारतीय क्रिकेट जगत के उन अधिकारियों को काफी सोचने को मजबूर करेगी जिन पर देश की टीम को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी है।
भारत श्रृंखला छह पूर्ण पारियों में 200 रन के आंकड़े को भी नहीं छू पाया इसलिए यह बताने की जरूरत नहीं है कि दौरे में क्या गलत हुआ।
नियमित कप्तान रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली तकनीकी समस्याओं के कारण पूरे सत्र में एक अदद अच्छी पारी के लिए जूझते रहे।
यशस्वी जायसवाल (391 रन) तीन बार शून्य पर आउट होने के बावजूद भारत की ओर से शीर्ष स्कोरर रहे। उनके बाद नवोदित नितीश कुमार रेड्डी (298 रन), लोकेश राहुल (276 रन) और ऋषभ पंत (255 रन) का नंबर आता है।
रोहित और कोहली की खराब फॉर्म को लेकर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दोनों दिग्गजों के लिए अपनी बल्लेबाजी में आई गिरावट को रोकना मुश्किल होता जा रहा है।
टीम में कुछ अच्छे युवा खिलाड़ी हैं और नए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र में उन्हें समय के साथ विकसित होने का मौका दिया जाना चाहिए।
कोहली और रोहित पर कड़े फैसले का इंतजार है जबकि बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को इस बात पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए कि कोच गौतम गंभीर सभी प्रारूपों में जिम्मेदारी संभालने के लिए सही व्यक्ति हैं या नहीं।
गंभीर के नेतृत्व में भारत ने इस सत्र में 10 में से छह टेस्ट गंवाए हैं। इसके अलावा टीम को श्रीलंका में एकदिवसीय श्रृंखला में हार का सामना करना पड़ा।
अगर कोहली और रोहित को जिम्मेदार ठहराया जाता है तो गंभीर को सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है। मुख्य कोच का जिद्दी रवैया सभी को पता है और इससे ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ी उनके साथ बहुत सहज नहीं हो पा रहे हैं।
ब्रिसबेन के बाद रविचंद्रन अश्विन का संन्यास और रोहित का खुद को बाहर करने का फैसला अचानक हुआ।
किसी खिलाड़ी की रणनीति के साथ छेड़छाड़ करना प्रबंधन का सबसे अच्छा तरीका नहीं है जैसा कि पंत ने कई बार बहुत सावधान रहकर दिखाया जिससे उनकी स्वाभाविक लय बाधित हुई।
लेकिन बल्लेबाजी से अधिक तेज और स्पिन गेंदबाजी दोनों ही राष्ट्रीय चयन समिति और टीम प्रबंधन के लिए बड़ी चिंता का विषय होंगे।
बुमराह की अनुपस्थिति ने दिखाया कि भारत को श्रृंखला के अंतिम दिन किस चीज की कमी खली, फिर भले ही ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी रहा हो।
जैसा कि ग्लेन मैकग्रा ने कहा कि अगर बुमराह ने 32 विकेट नहीं लिए होते तो भारत की हार का अंतर और अधिक होता।
ब्रिसबेन में मेहमान टीम बारिश के कारण बच गई और मेलबर्न में रोहित ने चौथे दिन अंतिम सत्र के दौरान खेल को अपने हाथ से जाने दिया।
मोहम्मद सिराज को 100 विकेट पूरे करने में 36 टेस्ट मैच लगे हैं और ये आंकड़े बहुत बढ़िया नहीं हैं।
आकाश दीप अभी भी नए हैं लेकिन उनमें क्षमता है जबकि प्रसिद्ध कृष्णा मुश्किल गेंदों के साथ काफी आसान गेंद भी फेंकते हैं।
हर्षित राणा इस स्तर के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं और उन्हें बड़े टेस्ट के लिए तैयार होने के लिए रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और इंडिया ए के कई मैच खेलने होंगे।
स्पिन विभाग में रविंद्र जडेजा अब बल्लेबाज अधिक और स्पिनर कम हैं जब तक कि पहले दिन से विकेट से मदद नहीं मिले।
पुणे में वाशिंगटन सुंदर के 12 विकेट को अलग रखा जाए तो वह बल्लेबाजी के अनुकूल विकेटों पर एक सक्षम ऑफ स्पिनर से अधिक बल्लेबाज हैं।
श्रृंखला की एकमात्र सकारात्मक बात यह है कि जायसवाल अगले बल्लेबाजी सुपरस्टार के रूप में उभर रहे हैं और नितीश रेड्डी ने प्रतिभा की झलक दिखाई है। रेड्डी की गेंदबाजी अगर बेहतर होती है तो भारत को घरेलू मैदान पर अच्छी पिचों पर तीन स्पिनरों के साथ खेलने का मौका मिलेगा।
भाषा सुधीर मोना
मोना
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