नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) भारतीय टेनिस खिलाड़ी करमन कौर थांडी का यह डर अब खत्म हो गया है कि वह चोट के कारण रैकेट उठा पायेंगी या नहीं क्योंकि अगर वह वापसी नहीं कर पाती तो उनका टेनिस करियर खत्म हो जाता।
करमन ने आईटीएफ डब्ल्यू50 टूर्नामेंट से वापसी की और बुधवार को हंगरी की खिलाड़ी पन्ना उडवर्दी से 4-6, 1-6 हारने से पहले कड़ी चुनौती पेश की। दिल्ली की इस खिलाड़ी ने अपने मजबूत स्ट्रोक्स से प्रभावित किया।
करमन 16 महीनों के लंबे अंतराल के बाद कोर्ट पर उतरी थीं और पूरा मैच खेलना भी एक तरह की जीत थी क्योंकि कुछ समय पहले तक उन्हें डर था कि वह टेनिस रैकेट नहीं उठा पाएंगी।
अपने कोच आदित्य सचदेवा से ‘हाई फाइव’ के बाद उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को गले लगाया और उनके चेहरे पर राहत की झलक थी।
करमन 2018 में शीर्ष-200 में पहुंची थी लेकिन चोटों के कारण उनका करियर उतार चढ़ाव भरा रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि ऐसे दिन थे जब मैं महीनों तक हर रात रोती रहती थी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने मजबूत बनना चाहते हैं लेकिन आपको लगता है कि मैं कोर्ट पर उतरकर खेलना चाहती हूं। ’’
करमन ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘दर्द इतना था कि मुझे लगता था कि मैं फिर से रैकेट उठा पाऊंगी या नहीं या फिर से खेल पाऊंगी या नहीं। बहुत मुश्किल था। डेढ़ साल तक मैं कोर्ट पर नहीं उतरी। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अभी नतीजों की परवाह नहीं है। मैं बहुत खुश हूं कि मैं कोर्ट पर पूरा मैच खेल सकी। ’’
करमन का लक्ष्य बिना परेशानी के पूरा सत्र खेलना है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच साल से मैं पूरा सत्र नहीं खेल पाई। और चोटें मेरे लिए बाधा थीं। कभी दो महीने बाहर रही, कभी तीन महीने और कभी नौ महीने। अब डेढ़ साल बाहर हूं। ’’
भाषा नमिता मोना
मोना
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)