गांव बन रहे कोरोना के एपिसेंटर! न मेडिकल सुविधाएं..न सक्रिय सिस्टम, कैसै सुधरेंगे हालात? | The village is becoming an Epicenter of Corona! Neither medical facilities… active systems, how will the situation improve?

गांव बन रहे कोरोना के एपिसेंटर! न मेडिकल सुविधाएं..न सक्रिय सिस्टम, कैसै सुधरेंगे हालात?

गांव बन रहे कोरोना के एपिसेंटर! न मेडिकल सुविधाएं..न सक्रिय सिस्टम, कैसै सुधरेंगे हालात?

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:08 PM IST
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Published Date: May 11, 2021 10:20 am IST

नईदिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है, इस बीच सबसे खतरनाक बात यह है कि अब इस महामारी ने देश के गांवों तक अपना प्रसार कर लिया है, पहली लहर में सरकार कोशिश कर रही थी गांवों को किसी तरह बचाया जाए, लेकिन अब दूसरी लहर में देश के अलग-अलग हिस्सों के गांव इस महामारी का शिकार बन रहे हैं।

इससे कई तरह के खतरे पैदा हो गए हैं, एक तो गांवों में शहरों की तरह उस हद तक की जागरुकता नहीं हैं, दूसरा गांवों में वैसी स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं है जहां अगर किसी को ज़रूरत पड़ती है तो तुरंत इलाज किया जा सके। गांवों में टेस्टिंग, इलाज की सुविधा ना होने से, गांव वाले भी अगर कोई लक्षण आ रहा है तो खुद को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत हिन्दी पट्टी के अलग-अलग राज्यों के गांवों से डराने वाली खबरें आ रही हैं।

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उत्तर प्रदेश के आगरा के दो गांवों से जो खबर आई वो हर किसी को झकझोर सकती है, यहां मात्र 20 दिनों में ही कोरोना का कहर इतना घातक था कि 64 लोगों की जान चली गई, इन सभी में पहले खांसी, बुखार, जैसे लक्षण आए जब शुरुआत में ही कुछ एक्शन नहीं लिया गया तो अंत में सांस लेने में तकलीफ हुई और मौत हो गई।

यूपी के ही कानपुर में घाटमपुर इलाके के ग्रामीण क्षेत्र में पिछले दो हफ्ते में करीब 30 लोगों की जान चली गई है, हाल ये है कि कोई स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी कोई सुध लेने वाला नहीं है और किसी तरह का एक्शन नहीं लिया जा रहा है। गांव में लोग मर रहे हैं, लेकिन अस्पताल का हाल बुरा है, स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ है।

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बुलंदशहर के परवाना गांव में पंचायत चुनाव खत्म हुए तो अब कोरोना महामारी को लेकर सतर्क हो गए हैं, यहां किसी बाहरी को अंदर प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं, इस पूरे इलाके में 11 दिन में 17 लोगों की मौत हुई है, गांववालों ने इसके पीछे कोरोना को ही कारण बताया है।

यूपी के मेरठ के अमहेड़ा गांव में भी कोरोना से दहशत है, गांव के लोगों का कहना है कि यहां कुछ लोगों को कोरोना से जान चली गई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम अभी तक गांव में नहीं पहुंची, गांव के लोगों का कहना है कि 5 से 6 दिनों में 6 लोगों की मौत हुई है।

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बिहार में भी हालात कुछ कम डरावने नहीं हैं, बिहार में शहरी इलाका हो या ग्रामीण सभी जगह स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खस्ता है, बिहार के बक्सर में बीते दिनों गांव के किनारे पर नदी में कुछ शव देखने को मिले, तो हर कोई डर गया। बक्सर के बाद यूपी-बिहार बॉर्डर के पास यूपी के गाजीपुर के गहमर गांव में भी ऐसा ही हुआ, यहां गंगा नदी में दर्जनों शव तैरते हुए दिखे। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल ही के दिनों में बीमारी की वजह से कुछ लोगों की मौत हुई है, क्योंकि कोरोना काल में जलाने के लिए लकड़ियों की कमी है यही वजह है कि लोग शवों को नदी में बहा दे रहे हैं।

बिहार के ही मुंगेर जिले के बागेश्वरी गांव में अब तक कुल 12 लोगों की मौत की सूचना हमारे पास है तथा कई लोग अभी भी अलग-अलग अस्पतालों में इलाजरत हैं, इसके अलावा दर्जनों लोगों को होम क्वारनटीन किया हुआ है, आसपास के कुछ गांवों में भी महामारी अपने पैर पसार रही है।

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दिल्ली से सटे हरियाणा के गांवों में भी कोरोना ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं, कोरोना रोगियों की संख्या कुछ दिनों में इस कदर ज्यादा बढ़ी है कि चिकित्सा सुविधाएं नाकाफी होती जा रही हैं, खतरा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि गांव में अभी तक ना तो आइसोलेशन सेंटर बन पाए हैं और ना ही क्वारंटाइन सेंटर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी पर्याप्त संसाधन नहीं दिख रहे हैं, रोहतक से 10 किलोमीटर दूर टिटौली के ग्रामीण इलाके में कोरोना के कारण लगातार मौतें हो रही हैं, यहां 10 दिन में करीब 40 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है।

इन मौतों के कारण तो स्पष्ट नहीं हो पाए हैं, लेकिन बुखार के बाद तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह सामने आई है, ग्रामीणों में कोरोना से ही मौत होने की चर्चा है। मरने वालों में बुजुर्ग, अधेड़, महिलाएं व युवा शामिल हैं, छह से सात मौत 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की हुई हैं, अब प्रशासन हरकत में आ गया है और कोरोना संक्रमण जांचने के टेस्ट भी शुरू कर दिए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में 300 से 400 लोगों के कोरोना टेस्ट रोहतक प्रशासन की तरफ से कराए गए हैं, जिसमें करीब 70 से 72 लोग कोरोना पॉजिटिव आए हैंं।

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गौरतलब है कि सिर्फ उत्तर प्रदेश या बिहार ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों के ग्रामीण इलाकों से इसी तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, जहां गांव की गली-गली में लोगों को बुखार, सर्दी, जुकाम जैसे लक्षण हैं, लेकिन किसी तरह की सुविधा ना होने की वजह से कोई जांच नहीं हो रही है और ना ही उस तरह की सख्ती गांवों में हैं। ऐसे में अगर शहरों में ही कोरोना की इस लहर ने इतनी तबाही मचा दी है तो गांवों में वक्त रहते कुछ बड़े और कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो कोरोना से निपटने में देर हो जाएगी।

 
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