उज्जैन: कहा जाता है कि धूम्रपान से श्वास, दमा और फेफड़े संबंधी रोग होते हैं, लेकिन कहें कि हुक्का से कई रोगों का इलाज हो रहा है तो शायद आपको हैरानी होगी। जी, हां यह सच है। आयुर्वेद पद्धति में हुक्के के माध्यम से ही इन रोगों का इलाज संभव है।
दरअसल उज्जैन के शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय में धूम्रपान चिकित्सा इकाई वर्ष 2018 से शुरू किया गया, जिसमें विभिन्न जड़ी-बूटियों का उपयोग कर श्वास या दमा रोग का इलाज किया जाता है। यह देश की प्रथम ऐसी इकाई है, जहां धूम्रपान से श्वास, दमा और फेफडे़ संबंधी रोगों का इलाज किया जा रहा है।
हुक्के से कई बीमारियों का इलाज करने वाले डॉ. निरंजन सराफ ने बताया कि आयुर्वेदिक धूम्रपान का उपयोग श्वास रोग में करने से श्वास रोग में अत्यंत लाभ मिलता है, साथ ही फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार होने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन मिलती है। आयुर्वेदिक धूम्रपान प्राचीनकाल में दिनचर्या का हिस्सा था। यह लंबे समय तक उपयोग के बाद परखा जा चुका है। यह श्वास व दमा रोग में प्रभावी होने के साथ शरीर को कोई दुष्प्रभाव भी नहीं देता है।
वहीं दमा की बीमारी से ग्रस्त मरीज आशीष ने बताया कि उसे बचपन से ही दमे की बीमारी है, जिसकी वजह से उसे सांस लेने में समस्या आती थी। लेकिन जब से धूम्रपान कर रहा हूं, मुझे सास लेने में परेशानी नही होती है।
डॉक्टर निरंजन सराफ ने बताया कि हुक्के में जटामासी, नागरमूला, पीपल की छाल, बरगद की छाल , वासा, छोटी–बड़ी इलायची का उपयोग किया जाता है।
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