भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए लड़ रहे संगठनों ने अस्पताल विलय योजना का विरोध किया |

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए लड़ रहे संगठनों ने अस्पताल विलय योजना का विरोध किया

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए लड़ रहे संगठनों ने अस्पताल विलय योजना का विरोध किया

:   Modified Date:  August 22, 2024 / 07:22 PM IST, Published Date : August 22, 2024/7:22 pm IST

भोपाल, 22 अगस्त (भाषा) वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के अधिकारों के लिए लड़ रहे चार संगठनों ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के साथ त्रासदी के पीड़ितों के लिए बने एक अस्पताल के विलय की योजना का विरोध किया है।

इन संगठनों का कहना है कि यह उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा और ‘चिल्ड्रन अगेंस्ट डाउ कार्बाइड’ जैसे संगठनों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने इस विलय योजना को रद्द करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखा है।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, ‘‘ एम्स-भोपाल के साथ प्रस्तावित विलय से भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए मौजूद स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को अपूरणीय क्षति होगी। यह प्रस्ताव 2018 में भी लाया गया था और सरकार द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने अगस्त 2019 में इस विचार को खारिज कर दिया था। हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह प्रस्ताव, जो पीड़ितों को मिलने वाली विशेष देखभाल की सुविधाओं को छीन लेगा, पांच साल बाद फिर से क्यों लाया जा रहा है।’’

रशीदा बी ने दावा किया कि उन्हें विलय योजना के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए मसौदा कैबिनेट नोट से पता चला।

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, ‘‘जनवरी 2024 से एम्स-भोपाल ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भोपाल के कैंसर पीड़ितों को देखभाल प्रदान करना शुरू कर दिया है। हालांकि, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति ने मरीजों के लिए 3-4 महीने की प्रतीक्षा अवधि पर चिंता व्यक्त की है। इस विलय से अशुभ संकेत मिल रहे हैं।’’

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा कि प्रस्तावित विलय भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की चिकित्सा देखभाल से संबंधित एक मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का उल्लंघन करता है।

खान ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने नौ अगस्त, 2012 को अपने एक आदेश में केंद्र सरकार और अन्य एजेंसियों को भोपाल मेमोरियल अस्पताल को एक स्वायत्त शिक्षण संस्थान बनाने का निर्देश दिया है ताकि यह गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों को आकर्षित कर सके और गैस त्रासदी के पीड़ितों की बेहतर सेवा कर सके।

‘चिल्ड्रन अगेंस्ट डाउ कार्बाइड’ की नौशीन खान ने कहा कि जिन लोगों ने इस विलय प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है, उन्होंने त्रासदी से प्रभावित लोगों से बात करना जरूरी नहीं समझा।

दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा मानी जाने वाली इस घटना में दो और तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव होने से कुल 3,787 लोग मारे गए थे और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। इस हादसे के बाद से यह कारखाना बंद कर दिया गया था।

भाषा

दिमो, रवि कांत रवि कांत

 

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