Niyad Nellanar Scheme in chhattisgarh

Niyad Nellanar Scheme: सरकार की नियद नेल्लानार योजना से खत्म होगा नक्सलवाद? कैसे संवर रही गांवों की तस्वीर देखें

Niyad Nellanar Scheme: सालों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे सुकमा जिले में सुरक्षाबलों के नए पुलिस कैंप की स्थापना से इलाके के गांवों में विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। पुलिस के मुताबिक यहां शासन की योजनाएं तक नहीं पहुंच पाती थी।

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Modified Date: November 9, 2024 / 11:13 PM IST
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Published Date: November 9, 2024 11:13 pm IST

जगदलपुर: niyad nellanar scheme, प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार द्वारा नक्सल इलाक़ों में नियद नेल्लानार योजना प्रारंभ कर ग्रामीणों तक शासन की बुनियादी सुविधाएं पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। शासन की योजनाएं अब गाँवों तक पहुँच रही हैं। वर्षों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे ग्रामीणों के लिए सरकार की नियद नेल्लानार योजना वरदान साबित हो रही है।

सालों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे सुकमा जिले में सुरक्षाबलों के नए पुलिस कैंप की स्थापना से इलाके के गांवों में विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। पुलिस के मुताबिक यहां शासन की योजनाएं तक नहीं पहुंच पाती थी। लेकिन अब इन गांवों की सूरत के साथ तकदीर भी बदल रही है। गांव में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। राशन से लेकर स्वास्थ्य सेवाएं अब गांव में ही मिलनी शुरू हो गई हैं।

ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं नियद नेल्लानार

प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार की नियद नेल्लानार योजना नक्सल प्रभावित इलाक़ों के ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। प्रदेश सरकार की मंशा अनुरूप सुकमा पुलिस और जिला प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद बीते 100 दिनों में सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में 9 नए पुलिस कैंप की स्थापना की गई है।

इन 9 पुलिस कैंप के करीब बसे 32 गांव मुख्यधारा में जुड़ गए हैं। कैंप खुलने के साथ ही गांव तक पक्की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। घोर नक्सल प्रभावित पूवर्ती, टेकलगुड़म, दुलेड़, मुकराज कोंडा, सलातोंग, मुलेर, परिया, लखापाल और पुलनपाड़ इलाके कभी माओवादियों के कब्जे में थे। यहां चार दशक से ज्यादा समय से माओवादियों की सरकार चलती थी।

नक्सल मोर्चे पर सरकार का आक्रामक रूख

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से नक्सलवाद के मोर्चे पर सरकार का आक्रामक रूख का असर साफ नजर आ रहा है। मुठभेड़ में नक्सलियों के मारे जाने के साथ बड़ी संख्या में माओवादियों का सरेंडर भी हो रहा है। नए पुलिस कैंप के खुलने से इलाके में बड़ा परिवर्तन नजर आ रहा है।

वहीं सरकार द्वारा चलाए जा रहे नियद नेल्लानार योजना से नक्सल इलाके की तस्वीर धीरे—धीरे बदल रही है। पूवर्ती, टेकलगुड़म, दुलेड़, मुकराज कोंडा, सलातोंग, मुलेर, परिया, लखापाल और पुलनपाड़ इलाके में आजादी का जश्न पहली बार बनाया गया। 78 सालों बाद यहां तिरंगा फहरा और राष्ट्रगान सुना गया। इन गांव में आज से पहले ऐसा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ।

नक्सल प्रभावित परिया तक पहुंचना हुआ आसान, बज रही मोबाइल की घंटी

नक्सलियों के दरभा डिवीजन अंतर्गत आने वाले घोर नक्सल प्रभावित परिया इलाके की तस्वीर अब बदलने लगी है। माओवादियों के गढ़ के रूप में पहचान बना चुके परिया का इलाका विकासात्मक कार्यों के लिए जाना जाने लगा है। कैंप खुलने के बाद इलाके के तस्वीर तो बदल ही रही है वहीं ग्रामीणों का विकास शासन—प्रशासन के प्रति भी बढ़ रहा है। सामसट्टी और परिया के बीच पड़ने वाले पहाड़ को काटकर सड़क बनाया जा रहा है।

जिला मुख्यालय से जुड़ी पंचायतें

सालों से पगडंडी और पथरीले रास्तों पर चलने वाले ग्रामीण अब मोटर बाइक से सफर कर रहे हैं। सड़क बनने से पंचायत का सड़क संपर्क सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ गया है। सरकारी राशन की सुविधा गांव में हो इसके लिए पीडीएस गोदाम का निर्माण भी कराया जा रहा है। डेढ़ माह के भीतर ही सरकारी राशन का वितरण गांव में ही होने लगेगा। गांव में मोबाइल टावर के लगने से देश दुनिया की खबरों व मनोरंजन का मजा आदिवासी ले रहे हैं। गांव में अब हाट बाजार लगने लगा है। लोगों को जरूरत के समान अब उनके गांव मे मिलने लगीं हैं।

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