रायपुर: रोजगार, स्व-रोजगार, स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और उद्यमिता विकास को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किये हैं। बीते वर्षों में ग्रामीण तबकों और सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचा है। जिसके परिणाम स्वरुप प्रदेश के बनवासी, ग्रामीण, किसान, मजदूर और कारीगर वर्ग को बड़ा लाभ हुआ है। (Chhattisgarh government exemplary efforts for forest dwellers) छत्तीसगढ़ सरकार के जनहितैषी नीतियों का ही परिणाम है कि आज प्रदेश का हर वर्ग आर्थिक रूप से सशक्त और सम्पन्न हो रहा है। छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले वनवासी एवं आदिवासियों के हित में और वनों में उनके अधिकारों को और अधिक दृढ़ करने एवं वनोपज से आय में वृद्धि के सपने को साकार करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं।
मिलेट कार्यक्रम में अग्रणी
कोदो, कुटकी और रागी जैसी लघु धान्य फसलें ज्यादातर हमारे वनक्षेत्रों में बोई जाती हैं। कोदो, कुटकी और रागी जैसा अनाज पोषण से भरपूर हैं और देश में इनकी अच्छी मांग है। साथ ही शहरी क्षेत्रों में ये बहुत अच्छी कीमत पर बिकता हैं। छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली कोदो, कुटकी और रागी को लेकर अब तक ना तो समर्थन मूल्य तय था, और न ही इसकी खरीदी की कोई व्यवस्था थी। इतनी महत्वपूर्ण और कीमती फसल उपजाने के बाद भी इसे उपजाने वाले किसान गरीब के गरीब रह गए।
राज्य सरकार ने अब इन फसलों की पैदावार बढ़ाने, इनकी खरीदी की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और इनकी प्रोसेसिंग कर इन्हें शहर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए ये मिलेट मिशन शुरू किया है। राज्य सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में इन्हें भी शामिल किया है। इससे अब इन लघु धान्य फसलों को उपजाने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तरह सहायता मिल सकेगी।
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लघु वनोपज संग्राहकों की संख्या में वृद्धि
छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है। सरकार ने संग्राहकों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में 9 गुना वृद्धि करते हुए 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों की खरीदी करने का निर्णय लिया यही कारण है कि इन चार सालों में संग्राहकों की संख्या में भी 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है, वर्ष 2018-19 में संग्राहकों की संख्या 1.5 लाख थी जो आज बढ़कर 6 लाख हो गई है। लघु वनोपजों की खरीदी की मात्रा में भी 78 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, वर्ष 2021-22 में कुल 42 हजार मीट्रिक टन लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, जबकि यह मात्रा वर्ष 2018-19 में 540 मीट्रिक टन थी।
छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य है, इस वर्ष राज्य सरकार ने 120 करोड़ रूपए का भुगतान वनोपज संग्राहकों को किया है। वर्ष 2020-21 में 153.46 करोड़ रुपए का लघु वनोपज देशभर में खर्च की गई राशि का अकेला 78 प्रतिशत है। (Chhattisgarh government exemplary efforts for forest dwellers) पिछले चार वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी योजनाओं के परिणाम स्वरुप 13 लाख तेंदुपत्ता संग्राहकों एवं 06 लाख वनोपज संग्राहकों को 250 करोड़ छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य है, इस वर्ष राज्य सरकार ने 120 करोड़ रुपए का भुगतान वनोपज संग्राहकों को किया है। वर्ष 2020-21 में 153.46 करोड़ रुपए का लघु वनोपज देशभर में खर्च की गई राशि का अकेला 78 प्रतिशत है।
पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी योजनाओं के परिणाम स्वरुप 13 लाख तेंदुपत्ता संग्राहकों एवं 06 लाख वनोपज संग्राहकों को 250 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सालाना आय हुई है। संग्रहण के साथ-साथ 129 वनधन विकास केन्द्रों के माध्यम से वनोपजों का प्रसंस्करण कर 134 हर्बल उत्पादों का छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के नाम से विक्रय करने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर 6 सी-मार्ट और 30 संजीवनी केन्द्रों की स्थापना की गई है।
पेसा कानून के लिए प्रतिबद्ध सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में पेसा कानून को लेकर बेतहतर प्रावधान बनाए हैं ताकि वनांचलों में स्थानीय स्वशासन सशक्त हो सकें और वन में रहने वाले लोगों को ज्यादा अधिकार मिल सकें। सरकार आदिवासियों के रोजगार, स्व- रोजगार के लिए और उनकी आय में वृद्धि हो सके इस दिशा में अनेकों प्रयास कर रही है।
संग्राहकों के हित में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 25 सौ रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया गया है, वहीं संग्राहकों को 4 वर्ष में 2146.75 करोड़ रुपए तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक एवं 339.27 करोड़ रुपए प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है। संग्राहक परिवारों के हित में शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अब तक 4692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई है।
वन अधिकारों के क्रियान्वयन में भी छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य है। छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है और लाख उत्पादक कृषकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करने की योजना भी लागू की है, जिसके प्रभाव स्वरूप आज लाख उत्पादक किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
इस तरह देखा जाए तो राज्य सरकार ने अपने कार्यक्रम और योजनाओं के माध्यम से वनवासी आदिवासियों तक सरकार की अधिकतम पहुँच सुनिश्चित की है। उन्हें सीधे योजनाओं से जोड़कर लाभ दिलाना और जीविकोपार्जन के माध्यम तैयार कर उनके जीवन को सुगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है।