Dearness allowance of pensioners: रायपुर। प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से प्रदेश के पेंशनर्स के हित में फैसले लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप एक बार फिर से छत्तीसगढ़ के पेंशनर्स अधिकारी-कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा दिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त विभाग ने इसके लिए गुरूवार 31 अगस्त को आदेश भी जारी कर दिया। सातवें वेतनमान में मूल पेंशन/परिवार पेंशन के लिए महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह लाभ इसी जुलाई महीने की पहली तारीख से मिलेगा। इस वृद्धि के पश्चात अब महंगाई राहत 42 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही छठवें वेतनमान के मूल पेंशन/ परिवार पेंशन पाने वाले पेंशनर्स के महंगाई भत्ते में 9 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह लाभ भी इसी साल के जुलाई महीने की पहली तारीख से मिलेगा। इस वृद्धि के साथ ही महंगाई राहत में कुल वृद्धि 221 प्रतिशत हो गई है।
उल्लेखनीय है कि पेंशनर्स की महंगाई राहत के संबंध में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों की स्वीकृति आवश्यक होती है। इस संबंध में स्वीकृति जल्द प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था। इसके बाद जैसे ही स्वीकृति प्राप्त हुई। महंगाई राहत में वृद्धि का लाभ पेंशनर्स को प्रदान करने का बिना किसी देरी के भूपेश सरकार ने निर्णय लिया और वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिया।
इस फैसले के पहले छत्तीसगढ़ के पेंशनरों को महंगाई राहत दिए जाने को लेकर मध्यप्रदेश की सहमति का इंतज़ार किया जा रहा था, इधर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों को महंगाई राहत में 4% की बढ़ोतरी के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, घोषणा पर शीघ्र अमल के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने मध्यप्रदेश शासन को सहमति के लिए पत्र लिखा था।
मध्यप्रदेश शासन की सहमति के आधार पर वर्तमान में राज्य के सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों को देय पेंशन पर 01 जुलाई 2023 से 38% के मान से महंगाई राहत का भुगतान किया जा रहा है। वहीं, शासन द्वारा 01 जुलाई 2023 से 42 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत दिए, जाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए वित्त विभाग ने 02.08.2023 को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश शासन से मध्यप्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 49 के अंतर्गत सहमति मांगी है। छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश राज्य के मध्य पेंशनरी दायित्वों के विभाजन के लिए राज्य निर्माण के समय से ही मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के प्रावधानों के अंतर्गत दोनों राज्यों के मध्य पेंशन राहत के भुगतान के लिए सहमति हासिल करना आवश्यक था।
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने पेंशनरों की बड़ी मांग पूरी की है। इसके पहले भी राज्य सरकार ने पेंशनरों का महंगाई भत्ता 5% से 10 % तक बढ़ाने का फैसला किया था, यह वृद्धि मूल पेंशन और पारिवारिक पेंशन दोनों में की गई थी। तब वित्त विभाग की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक राज्य सरकार ने मूल पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों के महंगाई भत्ते की दर में संशोधन किया है। सातवां वेतनमान प्राप्त पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों के महंगाई भत्ते में 5% की वृद्धि की गई है। पहले इन्हें 12% महंगाई भत्ता मिलता था। जिसके बाद बढ़कर 17% हो गया था। वहीं छठवें वेतनमान वाले पेंशनरों का महंगाई भत्ता 10% बढ़ाया गया है। अब उनको 164% महंगाई भत्ता मिलने लगा था। अभी तक इसकी दर 154% तक ही थी। महंगाई भत्ते की बढ़ी हुई दर अक्टूबर 2021 के पेंशन से लागू हो गई थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सितंबर 2021 में ही पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ते में 5% वृद्धि की घोषणा की थी। वित्त विभाग इसे उसी समय अमली जामा नहीं पहना पाया। उस अवधि में भी मध्य प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 ऐसे फैसलों के लिए दोनों सरकारों की सहमति को अनिवार्य करती है। ऐसे में बिना मध्य प्रदेश की सहमति लिए महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया जा सकता था। जब मध्य प्रदेश से भी सहमति मिल गई तो पेंशनरों को अक्टूबर 2021 से ही महंगाई भत्ता बढ़ी हुई दर से देने का निर्देश जारी हुआ था।
राज्य सरकार के इस फैसले से उन बुजुर्गों को राहत मिलेगी जो कि अपनी ताउम्र प्रदेश की सेवा की थी। बुजुर्गों का पेंशन ही उनके बुढ़ापे का सहारा होता है, ऐसे में सरकार की संवेदनशीलता और बड़े निर्णय से ऐसे पेंशनधारियों के चेहरे में मुस्कान बिखर गई हैं, छत्तीसगढ के लाखों पेंशनधारी यह बात कह रहे हैं कि ‘कका के राज म सियान के घलो हे पुछारी’।
read more: ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं की अनौपचारिक बैठक शुरू