रायपुर। विशेष रूप से कमजोर जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भूपेश सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह के हितग्राहियों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी तथा स्थायी आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। भूपेश सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है, जिसका लाभ जिले के कमार जनजाति के लोगों को भी मिल रहा है। प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को प्रदेश में सरकारी नोकरी मिल रही है, नतीजन जिन हाथों में कुल्हाड़ी कुदाल रहते थे अब उन हाथों ने कलम थाम ली है।
आपको बता दें कि कांकेर जिले के नरहरपुर विकासखण्ड के 13 ग्रामों में विशेष पिछड़ी जनजाति “कमार“ जाति के 72 परिवार निवास कर रहे हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 283 है, इनमें 147 पुरूष और 136 महिलाएं शामिल हैं, उनके जीविकोपार्जन का मुख्य साधन बांस शिल्प कला, कृषि एवं मजदूरी है। सभी 72 परिवारों को खाद्यान्न सुरक्षा प्रणाली अंतर्गत राशन कार्ड बनाया जाकर योजना का लाभ दिया जा रहा है। सभी ग्रामों में विद्युतीकरण करवाया गया है। जिले में निवासरत कमार जनजाति की कुल जनसंख्या में से लगभग 77 प्रतिशत जनसंख्या साक्षर है। वर्ष 2022-23 में इस वर्ग के 43 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, 06 बच्चों को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय तथा 05 बच्चों को प्रयास आवासीय विद्यालय प्रवेश परीक्षा हेतु आवेदन फार्म भरवाकर परीक्षा में सम्मिलित किया गया है।
पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के 28 युवाओं को शिक्षा विभाग से समन्वय कर चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नौकरी दी गई है। विशेष पिछड़ी जनजाति कमार जाति के 15 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास-ग्रामीण योजना से लाभान्वित किया गया है। इनके अलावा 12 हितग्राहियों को भी प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किया गया है। इन जनजाति के 65 परिवारों के घरों में शौचालय निर्मित है तथा सभी 13 ग्रामों में हैंडपंप अथवा नल जल योजना के माध्यम से पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत 71 परिवारों का जॉब कार्ड बनाया गया है तथा 14 हितग्राही को भूमि समतलीकरण से एवं 02 हितग्राही को डबरी निर्माण से लाभान्वित किया गया है। वनाधिकार पत्र से 25 हितग्राहियों को 6.03 हेक्टेयर भूमि का व्यक्तिगत वनाधिकार मान्यता पत्र तथा 159 हितग्राहियों का आयुष्मान कार्ड बनाया गया है। कमार विकास प्रकोष्ठ अंतर्गत परंपरागत जनजातीय खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए विकासखण्ड नरहरपुर के ग्राम दुधावा में खेल मड़ई का आयोजन किया गया था, जिसमें चयनित 24 प्रतिभागियों को राज्य स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता में सम्मिलित किया गया था।
गौरतलब है कि राज्य में विशेष पिछड़ी जनजाति के करीब 800 और धमतरी जिले के विभिन्न विभागों में और भुजिया जनजाति के अभ्यर्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार 39 पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं जिनमें 2 युवाओं को स्कूल शिक्षा विभाग तथा एक युवा को आदिवासी विकास विभाग में सहायक ग्रेड 3, एक युवा को चिकित्सा विभाग में वार्ड बॉय, 28 युवाओं को स्कूल शिक्षा विभाग, 2 युवाओं को पशु चिकित्सा विभाग और 2 युवाओं को राजस्व विभाग द्वारा चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति प्रदान की गई है। इस प्रकार 39 युवाओं को नौकरी प्रदान की गई है।
विशेष पिछड़ी जनजाति कमर से ताल्लुक रखने वाले विजय कुमार के जिन हाथों में कुल्हाड़ी और कुदाल चलाकर छाले पड़ जाते थे, आज उन हाथों में कलम है। विजय 1 साल पहले तक मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे, मजदूरी भी महज पांच से ₹6000 महीने मिल पाती थी, लेकिन राज्य शासन की एक योजना से विजय का जीवन पिछले 1 साल में पूरी तरह बदल गया है। विजय अब मजदूर नहीं बल्कि ट्राइबल विभाग में सहायक ग्रेड 3 में नौकरी कर रहे हैं। विजय ने बताया कि उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है पर जब नौकरी नहीं मिली तो गांव में मजदूरी करके ही परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन आज मेरे पास सरकारी नौकरी है और ₹17000 सैलरी मिलती है।
दरअसल राज्य की भूपेश सरकार राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान के लिए शासन द्वारा इन समुदायों के पढ़े-लिखे नौजवानों को शासकीय सेवाओं में उनकी पात्रता के अनुसार सीधी नियुक्ति दे रही है, योजना से इन समुदायों के लोगों का जीवन पूरी तरह बदल गया है।धमतरी जिले के संतोष कुमार भी 1 साल पहले तक मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाते थे लेकिन आज शिक्षा विभाग में व्यक्ति के पद पर कार्यरत हैं। संतोष बताते हैं कि जब 1 साल पहले तक मजदूरी करते थे तो कई बार ऐसा भी होता था कि मजदूरी ना मिलने के कारण है घर चलाना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब सरकार की योजना से मुझे शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई है। जिससे अब रोजगार की चिंता दूर हो गई है।
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों की जो घोषणा की थी, उस पर पूरे राज्य में अमल कया जा रहा है नतीजन राज्य के विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवा अब सरकारी नौकरी कर रहे हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 27 जून 2022 को ऐलान किया था कि छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति के सभी पात्र युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। उन्होंने यह घोषणा जशपुर जिले के बगीचा प्रखंड में एक पहाड़ी कोरवा युवती संजू पहाड़िया द्वारा सार्वजनिक संवाद के दौरान काम की मांग के बाद की थी।
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