बरुण सखाजी/सौरभ परिहार, रायपुरः छत्तीसगढ़ में विधानसभा के बाद बैक टु बैक दो बड़ी जीतें भाजपा के हाथ आई हैं। यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र में पार्टी गच्चा खा गई, लेकिन छत्तीसगढ़ ने अपना वादा निभाया। यानि मोदी की गारंटी पर अपनी गारंटी भी दे दी। जब गारंटी दे दी है तो फिर प्रदेश की जनता प्रतिनिधित्व भी अच्छा चाहती है। सियासी हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस बार छत्तीसगढ़ को केंद्र में कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है। क्या इस बार मोदी कैबिनेट में छत्तीसगढ़ को स्थान मिलेगा?
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छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से ही ये राज्य लोकसभा चुनावों में भाजपा का गढ़ रहा है। हम चुनाव में यहां से जनता ने भाजपा को भरपूर समर्थन दिया फिर चाहे 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बंपर जीत ही क्यों ना मिली हो जब बात 2019 में लोकसभा की आई तो जनता ने फिर 11 में से 9 सीट भाजपा की झोली में डाली और इस बार 10 सीट भाजपा के खाते में गई है, लेकिन इसके बाद भी केंद्रीय कैबिनेट में छत्तीसगढ़ की झोली खाली ही रहे हैं। हर बार एक-एक राज्य मंत्री से ही राज्य को संतोष करना पड़ा। हालांकि जब इस बारे में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से पूछा गया तो वे सब अच्छा होने की बात कहते नजर आए। इधर कांग्रेस भी मान रही है कि ज्यादा प्रतिनिधित्व की जरूरत है, लेकिन वह इसे प्रदेश के लिए किए जाने वालों कामों से जोड़ रही है।
बता दें कि भाजपा 240 पर हैं। एनडीए 293 पर। इनमें छत्तीसगढ़ का योगदान 10 सीटों का है। इनमें रायपुर के नवनिर्वाचित सांसद बृजमोहन अग्रवाल ऐसे सांसदों में शुमार हो गए हैं, जिनकी जीत देश में टॉप-10 में गिनी जा रही है। वे एक ही नहीं विजय बघेल भी ऐसे सांसद हैं जो 4 लाख 47 हजार वोटों का पहाड़ बनाकर जीते हैं। इस लिहाज से दुर्ग और रायपुर केंद्रीय मंत्रिमंडल की दौड़ में हैं। संतोष पांडे भी लगातार दूसरी जीत से दावेदारी कर रहे हैं, भूपेश को पटखनी और संघ से जुड़ाव उनकी दावेदारी को मजबूत कर रहा है। एक फॉर्मूला महिला का भी है तो एक आदिवासी का भी। अगर महिला फॉर्मूले पर पार्टी ने दांव खेला तो जांजगीर की एससी कोटे से सांसद कमलेश जांगड़े और महासमुंद की ओबीसी कोटे से रूपकुमारी चौधरी दावेदार हो सकती हैं।
प्रदेश में मुख्यमंत्री, देश में राष्ट्रपति आदिवासी समाज से भाजपा पहले ही दे चुकी है। ऐसे में संभावनाएं कम हैं कि आदिवासी कोटे से केंद्र में कोई मंत्री लिया जाए। फिर भी अगर यह फॉर्मूला अपनाया गया तो महेश कश्यप की दावेदारी ज्यादा बनती है। कारण, 2019 की सीट को अच्छे मार्जिन से वापस लाए हैं। बस्तर के मजबूत कांग्रेसी और पूर्व मंत्री लखमा को हराया है। आदिवासी कोटे से राधेश्याम राठिया भी हैं, लेकिन रायगढ़ को प्रदेश में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है और मोदी-1 में भी प्रतिनिधित्व मिल चुका है। अगर इस बार छत्तीसगढ़ को कैबिनेट पद मिलता है तो यह मोदी की गारंटी पर जनता की गारंटी का भी इम्तहान होगा।