कहीं फ़ितरत बदल सकती है… नामों के बदलने से,
जनाब-ए-शेख को मैं बरहमन कह दूं… तो क्या होगा..?
Sarkar On IBC24: भोपाल: जी हां, शायर का ये सच देखना है… तो जरा नवाबों के शहर भोपाल चले आइये.. कहने को तो ये नवाबों का शहर है, मगर पिछले कुछ समय से यहां नवाबों से जुड़ी जगहों, इमारतों के नाम बदलने का शगल चल रहा है। नाम बदलने की सियासत ने एक नई बहस छेड़ दी है… आखिर क्यों भोपाल में एक के बाद एक ऐतिहासिक धरोहरों के नाम बदले जा रहे हैं? देखिए ये रिपोर्ट।
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ये है भोपाल संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल। नाम है हमीदिया। इसके सामने भोपाल टॉकीज से लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज तक की सड़क को हमीदिया रोड कहलाती है। लेकिन अब इस रास्ते का नाम गुरुनानक मार्ग होने वाला है। नगर निगम की LIC कमेटी इसकी मंजूरी दे रही है। इससे पहले भी भोपाल की कई इमारतों और जगह के नाम बदले जा चुके हैं। इनमें होशंगाबाद, बावई, नसरूल्लागंज, इस्लाम नगर, बरखेड़ा पठानी, हबीबगंज रेल्वे स्टेशन, मिंटो हॉल, ऐशबाग हॉकी स्टेडियम का नाम शामिल है।
नाम बदले जाने वाले जगहों की लिस्ट काफी लंबी है। ओबेदुल्लागंज, उमरावगंज, हमीदिया अस्पताल, रशीदिया स्कूल, गौहर महल, बेनजीर कॉलेज, इकबाल मैदान, सदर मंजिल, सेफिया कॉलेज और स्कूल, हलालपुरा बस स्टैंड,लालघाटी, परी बाजार, काजी कैंप, जहांगीराबाद और जुमेराती चौक का नाम बदलने की मांग उठ रही है। नगर निगम अध्यक्ष नवाबी शहर के इन जगहों के नाम बदलने की वकालत कर रहे हैं। वहीं हिंदुवादी संगठन और बीजेपी सुर में सुर मिला रहे हैं।
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कांग्रेस का आरोप है कि मूल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए जगहों के नाम बदलने की सियासत हो रही है। नवाबी शहर भोपाल के जगहों की बात नहीं, इन दिनों ‘इंडिया’ वर्सेस ‘भारत’ पर भी देश और सियासत दो धड़ों में बंटा नजर आ रहा है। सवाल ये है कि क्या पुराने नाम बदलने से क्या इन जगहों को विकास की भी नई पहचान मिलेगी..?
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