Sarkar On IBC24: भोपाल: कांग्रेस सनातन के रास्ते पर आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ रही है। कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों में हर उस परसेप्शन को तोड़ने की कोशिश की है जो उसके विरोधी दलों ने पब्लिक के बीच कांग्रेस के लिए बनाया है। जाहिर है कांग्रेस अब खुद को सनातनी बताने से भी परहेज नहीं कर रही। उधर भाजपा को कांग्रेस की इस एक्सरसाइज पर ऐतराज भी है और बेचैनी भी कि आखिर उनकी पिच पर कांग्रेस जमकर बल्लेबाजी कैसे कर पा रही है।
कांग्रेस सनातन परंपराओं की शरण में है। भले इसके पीछे मंशा सत्ता में वापसी की हो। लेकिन कांग्रेस का ये प्रयोग फिलहाल पार्टी आलाकमान को पसंद आ रहा है। शुरुआत कमलनाथ ने सवा करोड़ हनुमान चालीसा पाठ से की और इसके बाद खुद भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, नर्मदा पूजन सरीखे अनुष्ठान किए। अब कांग्रेस चुनाव के दौरान फिर सनातन की राह पर है। कांग्रेस ने गणेश चतुर्थी के शुभ दिन अपनी 7 जनआक्रोश यात्राओं की शुरुआत की। PCC में गणेश जी को विराजित किया। इसके पहले PCC में ही कांग्रेस ने हनुमान चालीसा के पाठ किए। जिला मुख्यालयों में भी रामायण पाठ हुआ। सावन में नर्मदा किनारे रुद्री पाठ हुए। PCC के वास्तुदोष का निवारण किया। नवरात्रि में दुर्गा पूजा के साथ भंडारा भी किया गया कांग्रेस का दावा है कि पार्टी सनातन परंपराओं को दिल से मानती है। लेकिन बीजेपी की तरह दिखावा नहीं करती।
जाहिर है कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों में अपने सियासी पैटर्न को बदला है। पार्टी पर एक धर्म विशेष की वकालत करने के दाग को भी बखूबी धोया है और हिंदुत्व के एजेंडे के जरिए माइलेज ले रही है। कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान ये भी दावा कर रही है कि कमलनाथ सरकार ने ही महाकाल लोक की नींव रखी थी। श्रीलंका में सीता मंदिर बनाने के लिए बजट जारी किया था। मठ मंदिरों के पुजारियों के मानदेय में इजाफा किया था। राम वन गमन पथ बनाने का काम शुरू किया था। 1 हजार स्मार्ट गौशालाएं बनाई थीं। नर्मदा-क्षिप्रा की सफाई के लिए बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया था। ओंकारेश्वर और महाकाल के बीच ओम सर्किट बनाने की भी योजना थी लेकिन कांग्रेस की सरकार गिर गई। जाहिर है कांग्रेस के ये दावे कम से कम बीजेपी को तो हजम नहीं होंगे।
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चुनाव नजदीक हैं। सियासत शबाब पर है। आचार संहिता लगने से पहले कांग्रेस की कोशिश है कि सनातन एजेंडे के जरिए सत्ता में वापसी का रास्ता दुरुस्त कर लिया जाए। शायद इसलिए भी कांग्रेस की सातों जनआक्रोश यात्राओं के लीडर्स ने सिद्ध मंदिरों में माथा टेककर शुरुआत की है। कांग्रेस को हिंदुत्व के रास्ते ही सत्ता में वापसी मुमकिन दिख रही है।