नईदिल्ली: #SarkaronIBC24 दिल्ली के दंगल में इलेक्शन की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है..वैसे-वैसे हर दिन नए-नए सियासी एंगल सामने आ रहे हैं…सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी अपनी हैट्रिक लगाने के लिए कोई पैंतरा आजमाने से नहीं चूक रही है..हिंदुत्व के बाद आप ने जाट कार्ड खेलकर नई जंग का ऐलान किया…तो बीजेपी ने AAP सरकार को सत्ता से हटाने का दावा किया…
पहले महिला, फिर बुजुर्ग और सनातनी वोटर्स के लिए लुभावने वादे करने के बाद गुरुवार को केजरीवाल ने जाट आरक्षण का राग छेड़कर अपना नया दांव खेल दिया.. केजरीवाल ने BJP को जाट विरोधी बताते हुए जाट समाज के साथ धोखा करने का आरोप लगाया…जाहिर है दिल्ली में सत्ता की कुर्सी बिना जाट वोटर्स के हासिल करना आसान नहीं..ऐसे में ऐन चुनाव से पहले केजरीवाल ने जाट कार्ड खेला है…
दरअसल, आंकड़े भी बताते हैं कि दिल्ली में जाट वोटर्स डिसाइडिंग फैक्टर माने जाते हैं….
यहां करीब8 सीटों पर 10 प्रतिशत से अधिक जाट हैं.. जाट वोटर्स की खास बात ये है कि ये संगठित हैं और इलेक्शन में एकमुश्त वोटिंग करता है…खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में जाट वोटर्स का दबदबा है..2020 विधानसभा चुनाव में जाट बहुल 8 सीटों में 5 सीटों पर AAP तो 3 सीट BJP के खाते में गई थी…
केजरीवाल अपना जाट कार्ड खेलकर बीजेपी की घेराबंदी में जुटे हैं..तो बीजेपी ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर दिल्ली की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सरकार बनाने का दावा किया…
केजरीवाल का जाट प्रेम अचानक ही नहीं जागा है बल्कि इसके पीछे का कारण बीजेपी की मजबूत घेराबंदी है..क्योंकि बीजेपी ने जाट समुदाय से आने वाले प्रवेश वर्मा को केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से उतार दिया है..प्रवेश कद्दावर जाट नेता और दिल्ली के पूर्व सीएम साहेब सिंह वर्मा के बेटे हैं…ऐसे में केजरीवाल कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे..अब उनके जाट कार्ड से AAP को कितना फायदा होगा..ये तो जब 8 फरवरी को नतीजे आएंगे तब साफ होगा..
ब्यूरो रिपोर्ट IBC24
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