रायपुर : Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पिछले 10 महीने में 10 लाख से ज्यादा मनरेगा में पंजीकृत मजदूरों के नाम हटा दिये गये हैं, जबकि दूसरी ओर महतारी वंदन योजना में अब तक 29 हजार महिला हितग्राहियों की मौत हो चुकी हैं और 38 हजार से ज्यादा हितग्राहियों को कुछ माह से भुगतान नहीं हो रहा। इनमें से एक कांग्रेस शासन काल में शुरू हुई योजना है तो दूसरी बीजेपी के लिए गेमचेंजर योजना।
छत्तीसगढ़ की मनरेगा और महतारी वंदन योजना एक योजना 100 दिन रोजगार की गारंटी देती है तो दूसरी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का जरिया बन गई है। इन योजनाओं के हितग्राहियों की जो ताजा संख्या सामने आई है। उसने सियासी तूल पकड़ लिया है। बात अगर मनरेगा की करें तो प्रदेश में 78 लाख से ज्यादा मजदूर पंजीकृत थे, लेकिन अब केवल 65 लाख मजदूर ही सक्रिय हैं। यानी 10 लाख से भी ज्यादा मजदूरों की संख्या मनरेगा से हटाई जा चुकी है। बीजेपी और कांग्रेस में इसे लेकर बयानबाजी तेज है।
Chhattisgarh News: पंचायत विभाग के मुताबिक नाम जोड़ना और काटना निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। अगर नाम काटे गए हैं तो 4 लाख नए नाम जोड़े भी गए हैं। नाम काटे जाने के कारण भी हैं। जैसे मजदूर के परिवार का विभाजन, संबंधित मजदूर की मृत्यु, महिला मजदूर का शादी होकर दूसरी जगह जाना, डुप्लीकेट जॉब कार्ड होना, नए जॉब कार्ड का आवेदन, मजदूर का सरकारी सेवा में आना, स्थाई रूप से दूसरी जगह निवास करना या निष्क्रिय जॉब कार्डधारी मजदूर होना।
बवाल सिर्फ मनरेगा के मजदूरों पर ही नहीं छिड़ा बल्कि महतारी वंदन योजना में पंजीकृत महिलाओं पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि बीते 10 महीने के दौरान 29 हजार से ज्यादा महिला हितग्राहियों की मौत हो चुकी है। जबकि 38 हजार से ज्यादा हितग्राहियों का भुगतान तकनीकी कारणों से रोका गया है, हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने इसकी वजह भी बताई।
Chhattisgarh News: आज के समय में मनरेगा और महतारी वंदन जैसे योजनाएं ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था का आधार बन चुकी हैं। इसने गरीब परिवारों और उसकी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। ऐसे में इन योजनाओं की मॉनिटरिंग भी जरूरी है ताकि प्रात्र लोग योजना के लाभ से वंचित नहीं हों और योजनाओं के लिए खर्च होने वाली राशि का भी सदुपयोग हो।