भोपाल : MP Political News : मध्यप्रदेश कांग्रेस के सवर्ण नेताओं की खैर खबर लेने वाला कोई नहीं है। खास तौर पर ब्राह्मण-ठाकुर नेता हाशिए पर हैं। हालांकि सत्ता और संगठन का तगड़ा अनुभव रखने वाले ऐसे नेताओं को अब भी उम्मीद है कि कांग्रेस हाईकमान उनपर भी नजरें इनायत करेगा और उनकी जोरदार वापसी होगी। लेकिन ओबीसी सेंट्रिक पॉलिटिक्स के रास्ते पर चल रही कांग्रेस क्या इस समीकरण के सहारे बीजेपी से मुकाबला कर पाएगी जो जाति समीकरण को साधने में उससे एक कदम आगे है।
MP Political News : मध्यप्रदेश कांग्रेस में इस वक्त ठाकुर ब्राह्मण नेताओं के बजाए सारी सियासत सिर्फ ओबीसी नेताओं के ईर्द गिर्द ही घूम रही है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ओबीसी वर्ग से। महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल ओबीसी वर्ग से, NSUI अध्यक्ष आशुतोष चौकसे, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष मितेंद्र दर्शन सिंह और किसान कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुर्जर के अलावा सेवा दल संयोजक योगेश यादव ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। सूबे में 48 फीसदी ओबीसी वोट हासिल करने के चक्कर में कांग्रेस ऐसे उलझी कि, पूर्व नेता प्रतपिक्ष अजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, सांसद विवेक तन्खा, पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह सरीखे हाशिये पर पड़े नेताओं और उनके संगठनात्मक अनुभव को भूल ही गयी है।
मध्यप्रदेश में ठाकुर-ब्राह्मणों की आबादी तकरीबन 12 फीसदी है। जो प्रदेश की 70 फीसदी सीटों पर ये निर्णायक हैं। कई सीटें तो ऐसी हैं जहां सिर्फ ठाकुर ब्राह्मण नेताओं के इशारे पर वोट इधर से उधर हो जाते हैं। शायद इसलिए बीजेपी ने अध्यक्ष के तौर पर ब्राह्मण नेता वीडी शर्मा की तैनाती की। दोनों चुनावों के पहले खत्म हो चुके कार्यकाल का भी एक्सटेंशन कर ये संदेश दिया की बीजेपी सामान्य वर्ग के साथ खड़ी है। सत्ता में आने के बाद बीजेपी के ब्राह्मण नेता राजेंद्र शुक्ल को डिप्टी सीएम बनाकर ब्राह्मणों को साधा। जबकि नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष, गोविंद राजपूत और प्रद्युम्न सिंह तोमर को कैबिनेट मंत्री बनाकर ठाकुरों को साध लिया। जाहिर है कांग्रेस की जाति जनगणना का एजेंडा पार्टी के भीतर ही फेल होता नज़र आ रहा है जिसपर बीजेपी सवाल खड़े कर रही है।
MP Political News : कांग्रेस के भीतर ब्राह्मण-ठाकुर नेताओं में अंसतोष तो है, लेकिन खुलकर कोई अपना दर्द कोई बयां नहीं कर रहा। सुरेश पचौरी जैसे ब्राम्हण नेता के पार्टी छोड़ने के बाद भी कांग्रेस हाईकमान ने सबक नहीं लिया है। खैर, सत्तारूढ़ बीजेपी कांग्रेस के भीतर गड़बड़ा चुके जातीय समीकरण का सियासी माइलेज लेने की तैयारी कर चुकी है। तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश को रविशंकर शुक्ल, श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह सरीखे सीएम देने वाली कांग्रेस का ब्राह्मण-ठाकुर नेताओं से दूरी आने वाले दिनों में कहीं भारी न पड़ जाए।