लखनऊ : #SarkarOnIBC24 : यूपी की राजनीति में क्या चल रहा है? हफ्तेभर से एक ही सवाल सियासी गलियारों में तैर रहा है। बयानबाजी, मुलाकातें और अंदरखाने बैठकों की खबरों ने यूपी के माहौल को गरमाकर रखा है। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक दिल्ली रवाना हुए। सरकार के साथ यूपी बीजेपी का संगठन भी दिल्ली में मौजूद रहेगा। तो सवाल ये है कि पिछले कुछ दिनों से जो सरकार बनाम संगठन की लड़ाई चल रही थी। उसका पटाक्षेप हो पाएगा।
#SarkarOnIBC24 : लोकसभा चुनाव गुजर गए। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी बन गए। बीजेपी ने 240 सीट भी जीत ली, लेकिन एक कसक रह गई। दरअसल हुआ ये कि यूपी में बीजेपी की भद पिट गई। कहां तो 80 की 80 सीटें जीतने के दावे किए जा रहे थे और कहां यूपी में बीजेपी की गाड़ी 33 सीट पर अटक गई और यहीँ से शुरू हुई यूपी में बीजेपी की संगठन बनाम सरकार वाली कहानी। ये कहानी भर है या फिर इसमें कुछ सच्चाई है। ये सवाल बड़ा है।
पर्दे के पीछे की खबर ये है कि यूपी में बीजेपी के कार्यकर्ता यानी संगठन का आरोप है कि यूपी में अफसरशाही हावी है और निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। बूथ से लेकर जिला संगठन तक कार्यकर्ताओं में नाराजगी और निराशा है, लेकिन योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कि अफसरों के खिलाफ शिकायत है तो सुबूत लाओ, लेकिन विधायक इस राय से सहमत नहीं हैं।
और यूपी सरकार और संगठन की रस्साकशी के बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सब दिल्ली जाने वाले हैं। लेकिन दिल्ली से रवाना होने से पहले आज शाम लखनऊ में RSS की बैठक में हिस्सा लेंगे।
#SarkarOnIBC24 : चूंकि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी विधायकों और सहयोगी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। हालात ये हैं कि यूपी में बीजेपी की हार की समीक्षा बैठक में भी केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल नहीं हुए। आजमगढ़ की बैठक में ओमप्रकाश राजभर भी नहीं गए। ऐसे में यह मैसेज निकलने लगा कि यूपी बीजेपी में ओबीसी धड़ा अलग तरीके से सोच रहा है और काम कर रहा है। अखिलेश यादव ने इसी मौके का फायदा उठाकर ये ऑफर भी दे दिया कि 100 विधायक लाओ और सीएम बन जाओ। जिसके बाद केशव प्रसाद मौर्य की योगी से अनबन और साफ हो गई। एक तरफ अखिलेश यादव कह रहे हैं कि मौर्या दिल्ली के मोहरे हैं। इधर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी अखिलेश के बयान का समर्थन किया है।
तो मौर्या ने भी पलटवार कर कह दिया कि अखिलेश यादव, कांग्रेस के मोहरे हैं। उन्हें अपनी पार्टी पर ध्यान देना चाहिए दिल्ली में पीएम मोदी इन सभी नेताओं से मिल सकते हैं। इस वक्त दिल्ली दरबार 2 बिंदुओं को आधार बनाकर फैसला कर सकता है। एक तो योगी के खिलाफ एकजुट हो रहे पिछड़े वर्ग के नेताओं की नाराजगी। तो दूसरी तरफ संगठन के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की नाराजगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कोई संगटन और सरकार में कोई बदलाव होता है या फिर यूपी में केशव प्रसाद मौर्य को और इंतजार करना होगा।