रायपुरः Fact finding committee मध्यप्रदेश और छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार का पोस्टमार्टम शुरु हो गया है। दोनों राज्यों में कांग्रेस आलाकमान ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाकर भेजी है, जो हार के कारणों की पड़ताल कर रही है। मध्यप्रदेश के भोपाल और छत्तीसगढ़ के कांकेर में हार के कारणों पर मंथन हुआ। कांग्रेस जहां इसे लेकर गंभीर है। वहीं बीजेपी इस पर चुटकी ले रही है।
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Fact finding committee लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा। पार्टी अपनी सीटों का आंकड़ा 52 से बढ़ाकर 99 तक पहुंचाने में कामयाब रही। लेकिन जब बात मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी के प्रदर्शन की आती है तो हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि देश के बाकी राज्यों में जहां पार्टी को फायदा हुआ तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कहां कमी रह गई। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को केवल एक सीट नसीब हुआ। वहीं मध्यप्रदेश में तो उसका सूपड़ा ही सफा हो गया। कांग्रेस में हार के इन्हीं कारणों पर मंथन के लिए मैराथन बैठकें चल रही हैं। राजधानी भोपाल में हुई पार्टी की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने हार के कारणों की समीक्षा की। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और कांग्रेस नेता लखन घनघोरिया शामिल हुए। कांग्रेस की इन बैठकों के अगर सार की की बात करें तो हार की कई वजह गिनाईं गई, जिसके मुताबिक बीजेपी ने धन बल और बाहूबल के जरिए चुनाव जीता। वहीं कमलनाथ के दौरे दूसरे लोकसभा क्षेत्रों में नहीं हुए। जीतू पटवारी ने बतौर पीसीसी चीफ जमकर मनमानी की। कांग्रेस से आर्थिक सहयोग प्रत्याशियों को नहीं मिला। राहुल और प्रियंका गांधी के दौरे कम हुए। संगठन बूथ लेवल तक कमजोर रहा और चुनाव प्रबंधन भी ठीक से नहीं हुआ। प्रभारी जितेंद्र सिंह ने टिकट दिलाने में मनमानी की। लोकसभा चुनाव में दौरे तक नहीं किए।
हार की ऐसी ही समीक्षा छत्तीसगढ़ के कांकेर में भी की गई। यहां कांकेर और बस्तर सीट पर हार की समीक्षा की गई। कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्य हरीश चौधरी ने नेताओं से वन टू वन चर्चा की। बैठक में प्रदेश सह प्रभारी विजय जांगड़े, चंदन यादव और दीपक बैज शामिल हुए। इस दौरान कुछ नेताओं ने अपनी अनदेखी का आरोप लगाया। कांग्रेस ने बस्तर सीट चुनाव में गवां दी। वहीं कांकेर सीट पर काफी कम अंतर से पार्टी की हार हुई है। कांग्रेस जहां हार के कारणों की तह तक पहुंचने के लिए जी जान से जुटी है तो वहीं बीजेपी-कांग्रेस में हार पर मचे हाहाकार पर चुटकी ले रही है। मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कांग्रेस में हार पर जारी बैठकों के दौर पर कहा कि कांग्रेस से मेरी सहानुभूति है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सियासत हमेशा से दो दलीय रही है। एक समय था जब कांग्रेस का दोनों राज्यों में दबदबा था, लेकिन बीजेपी के उदय के साथ कांग्रेस का सूरज अस्त होता चला गया। कांग्रेस दोनों राज्यों में एक बड़ी ताकत जरूर है, लेकिन आपसी गुटबाजी को परे रखकर इस ताकत को संगठित किए बिना। कांग्रेस नेताओं के लिए किसी चमत्कार की उम्मीद करना बेमानी है।