रायपुर : #SarkarOnIBC24 : मध्यप्रदेश में बाढ़ को लेकर सियासत हो रही है, तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में बिजली को लेकर बवाल मचा है। यूं तो छत्तीसगढ़ सरप्लस बिजली वाला राज्य है। कोयलें की खदाने यहां बड़ी संख्या में हैं। छत्तीसगढ़ उन गिने चुने राज्यों में शुमार है जो बिजली बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। छत्तीसगढ़ में बिजली इतनी सुलभ होने के बाद भी इस पर सियासत हावी है।
#SarkarOnIBC24 : छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों बिजली ने करंट पैदा कर दिया है। जिसके झटके से कांग्रेस को नई ऊर्जा मिली और वो साय सरकार के खिलाफ खुलकर सड़क पर उतर आई, तो दूसरी ओर साय सरकार भी कांग्रेस के घेरने में पीछे नहीं है। यूथ कांग्रेस ने बिजली बिल में की गई बढ़ोतरी के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन आयोजित किए। महंगी बिजली और स्मार्ट मीटर का विरोध किया। दरअसल बिजली की बढ़ी दरों के विरोध में उद्योग संघ के आव्हान पर करीब 150 छोटी-बड़ी उद्योग इकाइयों ने फैक्ट्री बंद करने का फैसला किया है। जिसका असर सिर्फ उत्पादन पर ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसरों पर भी पड़ना तय है।जिसके चलते इसे लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज हो चला है।
#SarkarOnIBC24 : बात सिर्फ उद्योगों की नहीं है। बल्कि घरेलु बिजली दरों में किए इजाफे को लेकर भी कांग्रेस मुखर है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार बाहर सस्ती और घर में महंगे दाम पर बिजली बेच रही है। दूसरी ओर साय सरकार तत्कालीन भूपेश सरकार को लेकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रही है।
बिजली हर किसी की बुनियादी जरुरत है। सस्ती बिजली जहां उद्योगों को निवेश के लिए आकर्षित करती है। वहीं आम लोग भी महंगाई के दौर में कुछ राहत महसूस कर पाते है। यही वजह है कि सरकार आमतौर पर इसकी दरे बढ़ाने से बचती है, लेकिन कई बार ऐसा अलोकप्रिय फैसला लेना सरकार की मजबूरी बन जाता है। जिसके अपने सियासी नफे नुकसान है। यही वजह है कि बिजली की दरों में बदलाव से अक्सर सियासत गरमा जाती है।
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