भोपाल : #SarkarOnIBC24 : मध्यप्रदेश पर मानसून इस साल कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। बारिश इतनी ज्यादा हो रही है कि आए दिन हादसे की खबरें आने लगी है। शनिवार को रीवा में दीवार गिरने से जहां 4 बच्चों की मौत हो गई थी। तो वहीं रविवार को इससे भी बड़ा हादसा हो गया। सागर में एक मंदिर परिसर की दीवार गिरने से मलबे में दबकर 9 बच्चों की मौत हो गई। हादसे पर सत्ता पक्ष ने जहां दुख जताया और मुआवजे की घोषणा की। वहीं कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा।
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#SarkarOnIBC24 : मध्यप्रदेश में बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। जिसके चलते हादसे भी बढ़ गए हैं। सागर जिले के शाहपुर में दीवार गिरने से 9 बच्चों की मौत हो गई। 10 से 14 साल के ये बच्चे शिवलिंग बना रहे थे। दरअसल रहली विधानसभा के शाहपुर स्थित हरदौल मंदिर में भागवत कथा और शिवलिंग निर्माण का आयोजन हो रहा है। रविवार की छुट्टी के चलते बच्चे भी शिवलिंग बनाने पहुंच गए थे। इसी दौरान दीवार गिर गई दीवार करीब 50 साल पुरानी बताई जा रही है। घटना की जानकारी लगते ही रहली विधानसभा से विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव मौके पर पहुंचे। प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने बचाव अभियान शुरू किया। 2 घायल बच्चो का अस्पताल में भर्ती कराया।
घटना पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी दुख जताया और पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की। मोहन यादव ने X पोस्ट में लिखा ”आज सागर जिले के शाहपुर में अतिवृष्टि के कारण जर्जर मकान की दीवार गिरने से 9 मासूम बच्चों की मौत की खबर सुनकर मन व्यथित है। घायल बच्चों के उचित इलाज के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित किया है जिन परिवारों ने मासूम बच्चों को खोया उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। मृत बच्चों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी.. ।।ॐ शांति।।”
#SarkarOnIBC24 : वहीं इस घटना पर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जहां पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद की बात कहीं। वहीं PCC चीफ जीतू पटवारी ने सरकार और प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही 4-4 लाख रुपए के मुआवजे को नाकाफी बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की।
सागर में हुए हादसे से ठीक एक दिन पहले शनिवार को रीवा में भी कुछ ऐसी ही घटना घटी थी। जब स्कूल से छुट्टी के बाद घर लौट रहे बच्चों पर रास्ते में एक जर्जर दीवार भरभरा कर गिर गई। जिसमें 4 बच्चों की मौत हो गई…रीवा और सागर में दो दिन के अंदर हुए इन हादसों ने 13 मासूम बच्चों को मौत की नींद सुला दिया। इन हादसों को प्राकृतिक आपदा मानकर जिम्मेदारों को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। अगर समय रहते इन जर्जर दीवारों की पहचान कर ली जाती तो शायद ऐसे हादसों से बचा जा सकता था।