नई दिल्ली: Portfolio Allocation In Modi Cabinet 3.0 लंबे चुनावी घमासान और नतीजों को बाद देश में रविवार को नई सरकार ने आकर ले लिया। मोदी का प्रधानमंत्री के रूप में ये लगातार तीसरा कार्यकाल है। हालांकि ये पहला मौका है। जब मोदी एक मिली-जुली सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी कैबिनेट में सहयोगी दलों के साथ-साथ देश के लगभग हर वर्ग, हर क्षेत्र और समुदाय का प्रतिनिधित्व नजर आया।
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Portfolio Allocation In Modi Cabinet 3.0 नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रच दिया। मोदी ऐसा करिश्मा करने वाले पंडित नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री बन गए.. देश में आज जितनी चर्चा इस बात की है। मोदी की नई कैबिनेट की खूबियों पर भी खूब बात हो रही है।
पूरी मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री मोदी समेत 71 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें से 30 कैबिनेट, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्री हैं। जबकि 2019 में सिर्फ 57 मंत्री ही बनाए गए थे। मंत्रिपरिषद के गठन से पहले इस बात की खूब चर्चा थी कि सहयोगी दलों से कितने सांसदों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा और बीजेपी के कितने सांसद मंत्री बनने में कामयाब रहते हैं।
बीजेपी के 240 सांसदों में पीएम मोदी समेत 61 सांसदों ने शपथ ली है। वहीं NDA की दूसरी सबसे बड़ी 16 सीटों वाली TDP के 2 सांसद मंत्री बनाए गए हैं। 12 सीटों वाली नीतीश की JDU से भी दो सांसदों ने शपथ ली। LJP से चिराग पासवान, JDS से एचडी कुमारस्वामी हम पार्टी से जीतनराम मांझी शिवसेना से प्रताराव जाधव, राष्ट्रीय लोकदल से जयंत चौधरी, RPI से रामदास अठावले, अपना दल की अनुप्रिया पटेल को भी मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। कुल मिलाकर 53 सीटों वाले 15 सहयोगी दलों के 11 सांसद मंत्री पद पाने में कामयाब रहे।
पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में इस बार कई मंत्रियों को चुनाव जीतने के बावजूद बाहर रखा इन नामों की भी खूब चर्चा है। जो मंत्री फिर से शपथ नहीं ले सके उनमें सबसे बड़ा नाम अनुराग ठाकुर का है। इसके अलाव महाराष्ट्र से नारायण राणे और परषोत्तम रूपाला भी कैबिनेट में स्थान पाने में नाकाम रहे। इसके अलाव चुनाव हार चुकीं स्मृति ईरानी को भी पीएम मोदी ने दोबारा मौका नहीं दिया।
मोदी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों में 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को स्थान दिया गया है। इसमें सबसे बड़ा और प्रमुख नाम शिवराज सिंह चौहान और राजनाथ सिंह का है। इसके साथ ही मनोहर लाल खट्टर, सर्बानंद सोनोवाल, एच डी कुमारस्वामी और जीतन राम मांझी मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बने हैं। आने वाले दिनों में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में चुनाव है। पीएम मोदी ने इसे ध्यान में रखते हुए। महाराष्ट्र में खराब प्रदर्शन के बावजूद 6 सांसदों को मंत्री बनाया है। वहीं हरियाणा में 2 से बढ़ाकर 3 मंत्री बनाए गए हैं। झारखंड में भी दो मंत्री पद बरकरार रखे गए हैं।
बात अगर दक्षिण भारत की करें तो यहां बीजेपी ने 5 दक्षिणी राज्यों से इस बार 12 मंत्री बनाए हैं। जबकि पिछली बार 7 ही थे। लोकसभा की 80 सीटों वाले यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन का असर मंत्रिपरिषद के गठन में साफ देखने को मिला। यूपी से 2019 में 14 मंत्री बनाए गए थे जबकि इस बार सिर्फ 10 सांसदों को भी शपथ दिलाई गई। बिहार से 8 महाराष्ट्र, गुजरात और एमपी से 6-6 सांसद मंत्री बने।
बात अगर जातिगत समीकरणों की करें तो पीएम मोदी ने इसका पूरा ध्यान रखा है और हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। मोदी कैबिनेट में अन्य पिछड़ा वर्ग से 27, SC से 10 और ST से 5 सांसदों को मंत्री बनाया है। मोदी सरकार का गठन हो गया और पीएम मोदी ने अपना कार्यभार भी संभाल लिया। लेकिन अभी लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति पर पेंच फंसा है। जेडीयू और टीडीपी ये पद चाहते हैं। लोकसभा का सत्र शुरू होने से पहले इस पर भी जल्द फैसले की संभावना है। वहीं NCP मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री पद नहीं दिए जाने से नाराज है। बीजेपी NCP को राज्य मंत्री का पद दे रही थी लेकिन अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल इसके लिए राजी नहीं हुए। नियमों के मुताबिक मोदी कैबिनेट में कुल 81 मंत्री बना सकते हैं। ऐसे में अभी 9 मंत्री और बनाए जाने की गुंजाइश है।