Wonderful tradition! Women's entry barred in Devi's Ashapuri temple

अद्भुत परंपरा! देवी के इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित, वजह जान उड़ जाएंगे आपके होश

अद्भुत परंपरा! देवी के इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित, वजह जान उड़ जाएंगे आपके होश Women's entry barred in Ashapuri temple

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 PM IST
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Published Date: September 30, 2022 11:10 am IST

Devi’s Ashapuri temple: नई दिल्ली। नवरात्रि में देवी पूजा कई रूप में होती है। गृहस्थ और तांत्रिक दोनों ही देवी की पूजा करते हैं। देवी की पूजा में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भी पूजा का विधान होता है क्योंकि मान्यता है कि देवी भी महिला हैं और वह इन चीजों को अशुद्ध नहीं मानती हैं। तो ऐसा क्या है कि बिहार के एक मंदिर में देवी की पूजा के लिए 9 दिन तक महिलाएं शामिल नहीं हो पातीं।

नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को देवी का स्वरूप मान पूजा होती है लेकिन बिहार के नालंदा जिले में स्थित मां आशापुरी मंदिर में नवरात्रि के दौरान महिलाओं का प्रवेश मंदिर में वर्जित होता है।

बता दें कि देवी का ये मंदिर काफ़ी प्राचीन व प्रसिद्ध माना है, मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार 9वीं शताब्दी से ही इस मंदिर में नवरात्रि में दूर-दूर से लोग आगर तंत्र साधना करते हैं।

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Devi’s Ashapuri temple: आशापुरा मंदिर में नवरात्रि के पूरे नौ दिन तक तंत्र साधना होती है और यही कारण है कि इस दौरान महिलाओं का वहां आना मना होता है। 9 दिनों में मंदिर में तंत्र-मंत्र क्रिया से देवी की पूजा की जाती है। जिस दौरान नवरात्रि में यहां दुनिया भर से तांत्रिक आते हैं। नवरात्रि के आखिरी दिन तांत्रिक यहां निशापूजा तथा विशेष प्रकार का हवन करते हैं, जिसके बाद महिलाओं को मंदिर में आने की इजाजत होती है।

इसलिए मना होता है प्रवेश
मान्यता है कि नौ दिन जब तंत्र साधना चल रही होती है तब बुरी शक्तियां आसपास होती हैं, जो महिलाओं के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। इससे पूजा पूरी तरह विफल हो सकती है। तो यही कारण है कि यहां की जाने वाली पूजा विफल न हो इसलिए नवरात्रि के पूरे 9 दिन महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं करती।

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नवरात्रि में महिलाएं मंदिर के बाहर करती हैं पूजा
Devi’s Ashapuri temple: मंदिर की परंपरा न टूटे और महिलाओं की पूजा भी न रुके इस वजह से मंदिर के प्रांगण में अलग से मंदिर का निर्माण कराया गया है। नवरात्रि में यहां आकर महिलाएं पूजा करती हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर न सिर्फ तंत्र-मंत्र और सिद्धियों के लिए जाना जाता है, बल्कि कहते है कि यहां भक्त सच्चे मन से कुछ भी मांगता है तो उसकी इच्छा मां जरूर पूरी करती हैं। जिस कारण यहां माता को आशापुरा के नाम से जाना जाता है।

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