Ganesh Visarjan Ki Katha : आखिर बप्पा की मूर्ति को जल में ही क्यों किया जाता है विसर्जित? महाभारत से जुड़ी ये पौराणिक कथा, जानें यहां |

Ganesh Visarjan Ki Katha : आखिर बप्पा की मूर्ति को जल में ही क्यों किया जाता है विसर्जित? महाभारत से जुड़ी ये पौराणिक कथा, जानें यहां

Importance of Ganesh Visarjan : क्या आप लोग जानते हैं कि आखिर विसर्जन पर पानी में प्रतिमा बहा दी जाती है। इसके पीछे कि जो कथा है वह महाभारत से जुड़ी हुई है।

:   Modified Date:  September 16, 2024 / 01:50 PM IST, Published Date : September 16, 2024/1:50 pm IST

Ganesh Visarjan Ki Katha : हर साल गणेश चतुर्थी की शुरुआत चतुर्थी तिथि से होती है और समाप्ति अनन्त चतुर्दशी के दिन होती है। इस साल गणेश उत्सव का आखिरी दिन अनन्त चतुर्दशी रहेगा। मंगलवार के दिन चतुर्दशी तिथि में धूम-धाम से बप्पा को विदा किया जाएगा। गणेश जी का आगमन और विदाई शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से करना चाहिए। वहीं क्या आप लोग जानते हैं कि आखिर विसर्जन पर पानी में प्रतिमा बहा दी जाती है। इसके पीछे कि जो कथा है वह महाभारत से जुड़ी हुई है।

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क्या है गणपति विसर्जन का महत्व?

Ganesh Visarjan Ki Katha : हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, वाणी और विवेक का देवता माना गया है। यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है। इसके बाद ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा से जीवन की सभी बाधाएं खत्म हो जाती हैं। यह भी मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर भगवान गणेश जी की स्थापना की जाती है और 10 दिन तक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को किसी नदी या तालाब में विसर्जित करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है

पानी में क्यों किया जाता है बप्पा का विसर्जन?

पुराणों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए गणेश जी का आह्वान किया था। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार तो किया लेकिन एक शर्त भी रखी कि ‘मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा’। वेद व्यास जी ने इस शर्त को मान लिया। व्यास ने आंखें बंद करके गणेश जी को महाभारत सुनाना शुरू किया और गणपति बिना रुके उसे लिपिबद्ध करते थे। 10 दिन बाद जब महाभारत पूरी हुई तब वेदव्यास ने देखा कि गणपति का तापमान बहुत बढ़ा हुआ है। उन्होंने तापमान को कम करने के लिए गणपति जी को पानी में डुबकी लगवाई। तभी से यह गणपित विसर्जन की प्रथा चली आ रही है।

विसर्जन के ये विशेष उपाय

गणेश विसर्जन के समय एक भोजपत्र या पीला कागज लें। अष्टगंध कि स्याही या नई लाल स्याही की कलम भी लें। भोजपत्र या पीले कागज पर सबसे ऊपर स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद स्वस्तिक के नीचे ‘ॐ गं गणपतये नमः’ लिखें। फिर क्रम से एक-एक करके अपनी सारी समस्याएं लिखें।

समस्याओं के अंत में अपना नाम लिखें फिर गणेश मंत्र लिखें। सबसे आखिर में स्वस्तिक बनाएं। कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र से बांध लें। गणेश जी को समर्पित करें। इस कागज को भी गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही विसर्जित कर दें। फिर आपको समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।

 

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