नई दिल्ली। When will the fast of Nirjala Ekadashi : लोगों के मन में असमंजस है कि निर्जला एकादशी कब है और इसका व्रत रखकर पूजा कैसे की जाए। आपकी यह असमंजस हम खत्म करने वाले है। निर्जला एकदशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। निर्जला एकादशी का व्रत इस साल शुक्रवार 10 जून को रखा जाएगा।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
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दरअसल, हर साल कुल 24 एकादशी पड़ती है, जिनमें से से निर्जला एकादशी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन निर्जला उपवास का पुण्य साल की 24 एकादशी के बराबर होता है। इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।
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निर्जला एकादशी पर बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु की उपासना का विधान है। इस व्रत को करने से साल की सभी एकादशी का फल मिल जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था और मूर्छित हो गए थे। इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
निर्जला एकादशी के के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण ना करें। इसमें अन्न और फलाहार का भी त्याग करना होगा। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरी की पूजा करने के बाद अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
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पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार, 10 जून 2022 को सुबह 07 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन शनिवार, 11 जून 2022 को शाम 05 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी. इसी दिन इस व्रत का पारण भी किया जाएगा।
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निर्जला एकादशी के दिन जरूरतमंद लोगों को दान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी पापों का नाश होता है। इस दिन एक चकोर भोजपत्र पर केसर में गुलाबजल मिलाकर ओम नमो नारायणाय मंत्र तीन बार लिखें। अब एक आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें पाठ के बाद यह भोजपत्र अपने पर्स या पॉकेट में रखें। धनधान्य की वृद्धि के साथ साथ रुका हुआ धन भी मिलेगा।
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