Kajari Teej Vrat Date and Shubh Muhurat

Kajari Teej Vrat Date 2024 : कब रखा जाएगा कजरी तीज का व्रत? यहां देखें शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि

Kajari Teej Vrat Date and Shubh Muhurat : मान्यताओं में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के भवानी स्वरूप की भी पूजा की जाती है।

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Modified Date: August 18, 2024 / 03:50 PM IST
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Published Date: August 18, 2024 3:50 pm IST

नई दिल्ली। Kajari Teej Vrat Date 2024 : हिंदू धर्म में पूरे साल तीन प्रकार की तीज का व्रत रखा जाता है। जिसमें हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज शामिल हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन के बाद भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्य और अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। ज्यादातर कजरी तीज का व्रत राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश बिहार और उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है।

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Kajari Teej Vrat Date 2024 : मान्यताओं में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के भवानी स्वरूप की भी पूजा की जाती है। साथ ही कजरी तीज केदिन व्रत करने का भी विधान है।  इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए व्रत करती हैं, जबकि कन्याएं मनाचाहा वर पाने के लिए कजरी तीज के दिन उपवास रखती हैं। कजरी तीजे के दिन सारे दिन व्रत रहकर कर शाम को चंद्रोदय होने पर ही इस व्रत का पारण किया जाता है।

शुभ मुहूर्त और तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 21 अगस्त 2024 को शाम 5 बजकर 6 मिनट से होगा। तृतीया तिथि समाप्त 22 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 पर होगी। इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त 2024, गुरुवार को रखा जाएगा। 22 अगस्त को चंद्रोदय रात 8 बजकर 20 मिनट पर होगा।

कजरी तीज पूजा सामग्री लिस्ट

दीपक, घी, तेल, कपूर, अगरबत्ती, पीला वस्त्र, हल्दी, चंदन, श्रीफल,गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत, कच्चा सूता, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, भांग, धतूरा, दूर्वा घास आदि पूजा सामग्रियां। माता पार्वती के लिए हरे रंग की साड़ी, चुनरी, बिंदी, चूडियां, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, सिंदूर और मेहंदी आदि सुहाग की चीजें।

कजरी तीज व्रत की पूजा विधि

कजरी तीज का व्रत रखने के लिए सुहागिन महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें। उसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें। उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर लाल या पिले रंग का वस्त्र बिछाएं। उसके बाद चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद शिवजी का अभिषेक करें। साथ ही बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें और कजरी तीज की कथा का पाठ करें। रात्रि में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल का अर्घ्य दें।

कजरी तीज व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार,यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए इस व्रत को रखा था। इस व्रत को करने से परिवार में आपसी प्यार और सुख समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से कुंवारी लड़कियां को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है और संतान के जीवन में भी खुशहाली और उन्नति बनी रहती है।

 

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