Sarva Pitru Amavasya 2023 : नई दिल्ली। अभी श्राद्ध पक्ष लगा हुआ है। जिन्हें हम कड़वे दिन के नाम से भी जानते हैं। श्राद्ध पक्ष में किसी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष की 15 दिनों की अवधि के दौरान, पूर्वज पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। इसीलिए इस दौरान दिवंगत आत्मा के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। 29 सितंबर से पितृ पक्ष प्रारंभ हो गए हैं और 14 अक्टूबर को समाप्त होंगे। 14 अक्टूबर यानी अमावस्या पितृपक्ष का अंतिम दिन होता हैं इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। इस दिन पितरों के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
उदयातिथि के अनुसार, इस बार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट पर होने जा रहा है और अमावस्या तिथि का समापन 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा।
कुतुप मूहूर्त – सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दिन 12 बजकर 30 मिनट तक
रौहिण मूहूर्त – दिन में 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 16 मिनट तक
अपराह्न काल – दिन में 1 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक
1. तर्पण करने के लिए तिल, कुशा, पुष्प और सुंगधित जल पितरों को अर्पित करें।
2. पिंडदान चावल या जौ के पिंडदान करके गरीबों को भोजन कराएं।
3. जरूरतमंदों को वस्त्र आदि दान करें।
4. पूर्वजों के नाम पर कुछ दान जरूर करें।
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