नई दिल्ली। माघ महीनें में पूजा पाठ और दान धर्म का अलग ही महत्व है। माघ माह में आने वाली सकट चौथ का भी खास महत्व है। इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन माताएं संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस साल सकट चौथ का व्रत 31 जनवरी को है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रकुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैसे तो हर महीने में होता है लेकिन माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की महिमा सबसे ज्यादा है।
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इसी दिन भगवान गणेश अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकलकर आए थे। इसीलिए इसे सकट चौथ कहा जाता है। एक बार मां पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने दरबार पर गणेश को खड़ा कर दिया और किसी को अंदर नहीं आने देने के लिए कहा। जब भगवान शिव आए तो गणपति ने उन्हें अंदर आने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया।
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पुत्र का यह हाल देख मां पार्वती विलाप करने लगीं और अपने पुत्र को जीवित करने की हठ करने लगीं। जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया और गणेश गजानन कहलाए जाने लगे। इस दिन से भगवान गणपति को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी हासिल हुआ। सकट चौथ के दिन ही भगवान गणेश को 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। तभी से यह तिथि गणपति पूजन की तिथि बन गई। कहा जाता है कि इस दिन गणपति किसी को खाली हाथ नहीं जाने देते हैं।
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चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 31 जनवरी को रात 8 बजकर 24 मिनट चतुर्थी तिथि समाप्त- 1 फरवरी को शाम 6 बजकर 24 मिनट तक चंद्रोदय का समय- रात 8 बजकर, 41 मिनट
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इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें। पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा के वक्त गणेश भगवान के साथ लक्ष्मी जी की भी मूर्ति रखे। दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद रात में चांद को अर्घ्य दें। इसके बाद गणेश जी की पूजा कर फलहार करें। फलहार में सेंधा नमक का भी सेवन ना करें। सकट चौथ का महत्व ऐसी मान्यता है कि जो माताएं सकट चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी श्रद्धा से गणेश भगवान की पूजा करती हैं, उनकी संतान हमेशा निरोग रहती है। ये व्रत करने वालों पर गणपति भगवान की विशेष कृपा होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।