बाबा अमरनाथ की अद्भुत कथा: Baba Amarnath Ki Katha in Hindi

आखिर क्या है अमरनाथ की कथा? शिव-पार्वती के अलावा दो कबूतरों से जुड़ा है गुफा का रहस्य, आप भी जानें यहां.. |  Baba Amarnath Ki Katha in Hindi

शिवपुराण की एक कथा में बाबा अमरनाथ गुफा और उससे जुड़े रहस्य को बताया गया है!Baba Amarnath Ki Katha in Hindi

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Modified Date: July 10, 2024 / 10:27 PM IST
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Published Date: July 10, 2024 10:27 pm IST

 Baba Amarnath Ki Katha in Hindi  : 01 जुलाई से पवित्र अमरनाथ की यात्रा शुरू हो गई है। हिमालय की सुंदर पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित अमरनाथ हिंदुओं का सबसे अधिक आस्था वाला पवित्र तीर्थस्थल है। अमरनाथ यात्रा हर साल जून-जुलाई के महीने में शुरू होती है जो शिव भक्तों के लिए बहुत महत्व रखती है। अमरनाथ की खासियत पवित्र गुफा में बर्फ से शिवलिंग का बनना है, प्राकृतिक हिम से बनने के कारण ही इसे ‘हिमानी शिवलिंग’ या ‘बर्फानी बाबा’ भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप इससे जुड़ी कथा के बारे में जानते हैं। चलिए आज हम जानते हैं अमरनाथ से जुड़ी रहस्यमयी कथा..

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बाबा अमरनाथ की कथा

Baba Amarnath Ki Katha in Hindi : शिवपुराण की एक कथा में बाबा अमरनाथ गुफा और उससे जुड़े रहस्य को बताया गया है। एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप अजर-अमर हैं, लेकिन उनको हर बार जन्म लेना पड़ता है और आपको पति स्वरूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप क्यों करना पड़ता है? आपको प्राप्त करने के लिए इ​तनी कठिन परीक्षा क्यों देनी पड़ती है? आपके अमर होने का रहस्य क्या है?

Baba Amarnath Ki Katha in Hindi : भगवान शिव अमरत्व के रहस्य को बताना नहीं चाहते थे, ले​किन माता पार्वती के हठ करने पर वे इसके लिए तैयार हुए। उन्होंने अमरत्व रहस्य को सिर्फ माता पार्वती को बताना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने एकांत और शांतिपूर्ण अमरनाथ गुफा को चुना।

उस गुफा में पहुंचने के लिए भगवान शिव ने अपने पंचतत्वों को भी त्याग दिया। उस गुफा में नंदी, कार्तिकेय, गणेश या कोई अन्य पशु-पक्षी न आ पाए, इसलिए गुफा के चारों ओर आग जला दी। उसके बाद अमरत्व की कथा प्रारंभ की।

दो कबूतरों ने भी सुनी कथा

महादेव कथा सुनाने लगे और माता पार्वती उसी दौरान सो गईं। यह बात भगवान शिव को पता नहीं चली। उस कथा को दो कबूतर सुन रहे थे और वे हुंकार भर रहे थे। भगवान भोलेनाथ को लगा कि माता पार्वती वह कथा सुन रही हैं।

जब कथा समाप्त हुई, तो भगवान भोलेनाथ ने देखा कि माता पार्वती तो सो रही हैं, फिर उनके मन में प्रश्न उठा कि कथा किसने सुनी? उन्होंने नजर दौड़ाई, तो देखा कि वहां दो कबूतर मौजूद हैं। भगवान शिव क्रोधित हो गए, तो वे दोनों कबूतर उनके सामने क्षमा प्रार्थना करने लगे।

दोनों ने कहा कि हे महादेव! हमने यह कथा सुनी है। यदि आप हमें मार देते हैं, तो यह कथा असत्य हो जाएगी, आप हमारा मार्गदर्शन करें। तब भगवान शिव ने कहा कि तुम आज से यहां पर शिव और शक्ति के प्रतीक चिह्न के रूप में वास करोगे।

उसके बाद से कबूतर का जोड़ा अमरत्व को प्राप्त कर लिया। इस पूरी कथा के कारण उस गुफा को अमरनाथ गुफा कहते हैं और यह कथा अमरकथा कहलाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज भी कबूतर को जोड़ा वहां दिखाई देता है।

 

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