Vishnu Stuti with Lyrics : भगवान विष्णु की पूजा के लिए गुरुवार का दिन बहुत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्री हरि स्तोत्र, श्री नारायण स्तोत्र, और विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है। पौराणिक शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार यदि नियमित रूप से श्री हरि विष्णु की स्तुति की जाए, तो ये ना सिर्फ पापों को नष्ट करते हैं, बल्कि जीवन में काफी फलदायी भी होते हैं।
Vishnu Stuti with Lyrics : भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्र
– ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
– श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।
– ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
– ॐ विष्णवे नम:।
– ॐ हूं विष्णवे नम:।
– ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
Vishnu Stuti with Lyrics : भगवान विष्णु की स्तुति से पाए जाने वाले लाभ
विष्णु स्तुति करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति को हर राह पर सफलता मिलती है।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता आती है।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति के जीवन में उत्तरदायित्व संवार होता है और मुश्किल समस्याओं का समाधान होता है।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति के कर्मों के प्रति जागरूकता आती है और वह अच्छे कर्मों की दिशा में बढ़ता है।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति के आस-पास शुभ ऊर्जा का प्रवाह होता है।
विष्णु स्तुति करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक दृष्टिकोण मज़बूत होता है।
Vishnu Stuti with Lyrics : आईये यहाँ पढ़ें और सुनें श्री विष्णु स्तुति
॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥
Vishnu Stuti with Lyrics
श्री विष्णु स्तुति काव्यार्थ
जिनु आकृति अति शांतिस्वरूपा, जगत आधारहि देवहि भूपा ।
शयन शेष करतु विश्रामा, पंकज नाभिन वर्णई श्यामा ॥
सुन्दर रूप योगीजन ध्यावत, गगन समान सर्वत्रही छावत ।
जन्ममृत्यु जय भय नाशक, सकल लोकनाथ बन्दउ दासक ॥
लक्ष्मीपति कमलनैन भगवाना, विष्णुअई प्रणाम विनय कइ नाना ।
ब्रह्मा शिव वायु इन्द्र मरुद्गण स्तुति गावत, दिव्यई स्तोत्र करहि रिझावत ॥
सामवेद गावतु जिन अंगा, पद क्रम गाइ उपनिषद वेदहि संगा ।
प्रसन्न चित दरशतु योगीजन ध्याय, सौरभ नमामि नारायण देव असुर अंत न पाय ॥
Vishnu Stuti with Lyrics
हिन्दी भावार्थ
जिनकी आकृति स्वरूप अतिशय शांत है,जो जगत के आधार व देवताओं के भी ईश्वर (राजा) है, जो शेषनाग की शैया पर विश्राम किए हुए हैं, जिनकी नाभि में कमल है और जिनका वर्ण श्याम रंग का है, जिनके अतिशय सुंदर रूप का योगीजन ध्यान करते हैं, जो गगन के समान सभी जगहों पर छाए हुए हैं, जो जन्म-मरण के भय का नाश करने वाले हैं, जो सम्पूर्ण लोकों के स्वामी हैं, जिनकी भक्तजन बन्दना करते हैं, ऐसे लक्ष्मीपति कमलनेत्र भगवान श्रीविष्णु को अनेक प्रकार से विनती कर प्रणाम करता हूँ ।
ब्रह्मा, शिव, वरुण, इन्द्र, मरुद्गण जिनकी दिव्य स्तोत्रों से स्तुति गाकर रिझाते है, सामवेद के गाने वाले अंग, पद, क्रम और उपनिषदों के सहित वेदों द्वारा जिनका गान करते हैं, योगीजन ध्यान में स्थित प्रसन्न हुए मन से जिनका दर्शन करते हैं, देवता और असुर जिनके अंत को नही पाते, उन नारायण को सौरभ नमस्कार करता हैं ॥
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