Mahanavami Shubh Muhurt Aur Puja Vidhi

Maha Navami Puja Vidhi: कल है महानवमी, शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सब कुछ जानें यहां

Maha Navami Puja Vidhi : शारदीय नवरात्रि के आठ दिन पूरे हो चुके हैं और अब महानवमी पर मां शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्रि माता

Edited By :   Modified Date:  May 23, 2024 / 10:55 AM IST, Published Date : October 22, 2023/9:51 pm IST

नई दिल्ली : Maha Navami Puja Vidhi : शारदीय नवरात्रि के आठ दिन पूरे हो चुके हैं और अब महानवमी पर मां शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्रि माता के नौवें स्वरूप की पूजा- आराधना के साथ संपन्न हो जाएगा। नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना और आराधना विधि-विधान के साथ की जाती है। नवरात्रि पर्व की अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि की इन दोनों ही तिथियों पर कन्या पूजन किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी तिथि पर तो कुछ लोग नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ मां की आराधना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से धन, बल, यश के साथ सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और मंत्र और आरती।

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नवमी तिथि में कन्या पूजन का मुहुर्त

Maha Navami Puja Vidhi : वैदिक पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की महानवमी तिथि 22 अक्तूबर 2023 को शाम 07 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगी जिसका समापन 23 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर होगी। उदय तिथि की आधार पर 23 अक्तूबर को महानवमी मनाई जाएगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त

सुबह- 06 बजकर 27 मिनट से 07 बजकर 51 मिनट तक
दोपहर- 01 बजकर 30 मिनट से 02 बजकर 55 मिनट तक

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महानवमी की पूजा-विधि

Maha Navami Puja Vidhi : महानवमी की तिथि नवरात्रि का आखिरी तिथि होती है। इस तिथि पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना और पाठ करने का महत्व होता है। महानवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर इसके बाद पूजा स्थल पर देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा को स्थापित करें। अगर आपके पास देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा नहीं तो देवी दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करके पूजा आरंभ करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और नवग्रह को फूल अर्पित करें। इसके बाद देवी को धूप, दीप, फल, फूल, भोग और नवैद्य अर्पित करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ और मां दुर्गा और सिद्धिदात्री से जुड़े मंत्रों का पाठ करें। अंत में मां की आरती करें और कन्याओं का पूजन करते हुए उपहार देकर विदा करें।

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