वर्ष में केवल 24 घंटों के लिए खुलता है ये मंदिर, भगवान भोलेनाथ के विलक्षण रुप में होते हैं दर्शन | This temple opens for only 24 hours in a year Visions are made in the unique form of Lord Bholenath

वर्ष में केवल 24 घंटों के लिए खुलता है ये मंदिर, भगवान भोलेनाथ के विलक्षण रुप में होते हैं दर्शन

वर्ष में केवल 24 घंटों के लिए खुलता है ये मंदिर, भगवान भोलेनाथ के विलक्षण रुप में होते हैं दर्शन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : July 22, 2020/10:01 am IST

उज्जैन। यहां नाग सिंहासन पर आसीन हैं महादेव… औघड़दानी के इस अद्भुत स्वरूप का दर्शन कर आप अभिभूत हो जाएंगे। देह पर लिपटे भुजंग..दशामुखी सर्पशय्या..और उसमें विराजे भोले भंडारी…। अभिभूत करने वाला ये दृश्य ।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है नागचंद्रेश्वर मंदिर । हर साल नागपंचमी के दिन करीब 2 घंटे के त्रिकाल पूजन के बाद मंदिर के कपाट खुलते हैं। वो भी सिर्फ 24 घंटों के लिए।

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ये मंदिर साल में केवल एक बार खुलता है…वो दिन है नागपंचमी का । इस ड्योड़ी पर कदम रखते ही सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है। यहां आने वालों के सारी विध्न बाधाएं हर लेते हैं शिव शंभू । देश के धार्मिक सप्तपुरियों में से एक उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर तीन खंड़ों में बंटा हुआ है। मंदिर के प्रथम तल में महाकालेश्वर विराजमान है। दूसरे तल में ओंकारेश्वर का द्वार है तो तीसरे तल में सजा है नागचंद्रेश्वर का दरबार । जहां शिव शंभू की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में महादेव अपने पूरे परिवार के साथ नाग सिंहासन पर आसीन नज़र आते हैं। आमतौर पर शेष शैय्या पर भगवान विष्णु को चित्रित किया जाता है लेकिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में विष्णु भगवान की जगह भोलेनाथ सर्प शैय्या पर विराजे दिखाई देते हैं ।

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पौराणिक मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी, जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया था । जिसके बाद से तक्षक राजा ने शंकर भगवान के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया । तब से आज तक भुजंगों के आभूषणों से सुशोभित है त्रिपुरारी । यही वजह है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर नागशैय्या पर नज़र आते हैं देवादि देव ।