Guru Pradosh Vrat: हिंदू धर्म में हर व्रत का काफी महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत को भगवान शिव की उपासना का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस व्रत को कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन साधक भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें नीलकंठ व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से मान्यता है कि साधक के जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। भगवान शिव की कृपा से साधकों के सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं।
Guru Pradosh Vrat: पंचांग के अनुसार, आज यानि मुहूर्त 01 जून को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगा और 02 जून को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगा। आज गुरुवार का दिन होने के कारण इसे “गुरु प्रदोष व्रत” के नाम से जाना जाएगा।
– Guru Pradosh Vrat: एक पवित्र और शुद्ध स्थान को चुनें जहां आप पूजा करना चाहते हैं। पूजा स्थल को सजाएं और उसमें एक छोटा शिवलिंग स्थापित करें।
– Guru Pradosh Vrat: पूजा की शुरुआत में संकल्प करें, जिसमें आप अपने निश्चय को व्यक्त करें कि आप गुरु प्रदोष व्रत की पूजा कर रहे हैं और भगवान शिव की अनुप्राणित उपासना करेंगे।
– Guru Pradosh Vrat: शुद्ध होकर बैठें और शिवलिंग की ओर मुख करें। शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं और पुष्प, दूप, दीप, अक्षत (चावल के दाने), धूप, आरती के दिए, नैवेद्य (भोग), वस्त्र, बेलपत्र आदि से पूजा करें।
– Guru Pradosh Vrat: भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” और अन्य शिव मंत्र।
– Guru Pradosh Vrat: गुरु प्रदोष व्रत के दिन शिव कथा का पाठ करें। इसमें भगवान शिव के महिमा, लीला और उनके भक्तों के चरित्र का वर्णन होता है।
– Guru Pradosh Vrat: आरती गाएं और शिव जी की महिमा गाने या रचनाएं पढ़ें।
– Guru Pradosh Vrat: प्रदोष काल में जो आधी राति के करीब होता है, भगवान शिव की उपासना करें। इस समय में ध्यान और मन्त्र जाप करें और भगवान शिव के सामीप्य में एकाग्रता रखें।
– Guru Pradosh Vrat: पूजा के अंत में दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी प्रसाद लें।
Guru Pradosh Vrat: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक की इच्छाएं पूरी होती हैं। यह व्रत आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक विकास और धार्मिकता को प्रोत्साहित करता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में कष्टों का नाश होता है। इस मौके पर आप भगवान शिव की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। प्रदोष व्रत का महत्व और फल प्राप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत को आचरण करना चाहिए। यह व्रत भगवान शिव के प्रतीक और समर्पण का प्रतीक है और उनकी कृपा को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
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