नई दिल्ली : Navratri Akhand Jyoti: नवरात्रि के पावन पर्व में मां दुर्गा की अखंड ज्योति को वास्तु के नियमों के अनुसार सही दिशा में रखना और जलाना महत्वपूर्ण है। इससे घर में शुभता, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि परिवार की सुख-समृद्धि में योगदान करता है। नवरात्रि के इस पावन पर्व को सही तरीके से मनाने और ज्योति को सही दिशा में जलाने से घर में आने वाली हर मुश्किल और विघ्न को दूर किया जा सकता है। नवरात्रि में हर हिन्दू परिवार में मां दुर्गा विराजमान होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में अखंड ज्योति का आयोजन करना चाहिए। यह ज्योति मां दुर्गा की उपासना के लिए जलाई जाती है।
Navratri Akhand Jyoti: अखंड ज्योति वह दीपक होता है जिसे बिना बुझाए लगातार जलाया जाता है। नवरात्रि में अखंड ज्योति का बहुत महत्व होता है। यह ज्योति मां दुर्गा की अनमोलता, शक्ति और अनंतता की प्रतीक मानी जाती है। इसे जलाने से यह आस्था और विश्वास बनाए रखता है कि मां हमें हमेशा सुरक्षित रखेगी और हमारे जीवन में प्रकाश और पॉजिटिविटी का संचार करेगी। इसलिए, नवरात्रि में अखंड ज्योति को जलाकर धार्मिक आस्था और भक्ति को प्रकट किया जाता है।
Navratri Akhand Jyoti: वास्तु शास्त्र, जो कि हमारे जीवन में शुभता और संतुलन को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित है, उसके अनुसार मां की अखंड ज्योति को आग्नेय कोण, अर्थात पूर्व-दक्षिण दिशा में रखना शुभ माना जाता है। यह विशेषत: ताजगी और पोजिटिविटी को बढ़ावा देता है। ज्योति का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, जिससे कि पूजा में और भी शक्ति आती है।
Navratri Akhand Jyoti: अखंड ज्योति की लौ को ऊपर की और उठाना भी महत्वपूर्ण है. जब ज्योति की लौ ऊपर की ओर होती है, तो यह ज्योति मां दुर्गा के आशीर्वाद और पोजिटिव एनर्जी का प्रतीक मानी जाती है। इसके अलावा, ज्योति की लौ की दिशा भी महत्वपूर्ण है। अगर ज्योति की लौ उत्तर दिशा में है, तो इससे धनलाभ की संभावना बढ़ जाती है, जबकि दक्षिण दिशा में ज्योति की लौ होने पर धनहानि का भय रहता है।
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