धनतेरस, दीवाली और भाईदूज को लेकर है कन्फ्यूजन.. तो यहां देखिए पूजन की सही तिथि और विधि | There is confusion regarding Dhanteras, Diwali and bhaidooj

धनतेरस, दीवाली और भाईदूज को लेकर है कन्फ्यूजन.. तो यहां देखिए पूजन की सही तिथि और विधि

धनतेरस, दीवाली और भाईदूज को लेकर है कन्फ्यूजन.. तो यहां देखिए पूजन की सही तिथि और विधि

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : November 11, 2020/6:27 am IST

रायपुर। हिंदू धर्म में दीवाली सबसे बड़ा त्यौहार है और इसका विशेष महत्व भी है। दीवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज को समाप्त होता है। इस साल दीवाली 14 नवंबर (शनिवार) को पड़ रही है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान श्रीराम लंकापति रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। भगवान राम की वापसी पर अयोध्या में घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया गया था। कहते हैं कि तभी से इस खुशी में दीवाली मनाई जाती है। हालांकि इस साल धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दीवाली की तिथियों को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है।

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जानिए धनतेरस, छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) और दिवाली की सही तिथि और शुभ मुहूर्त-

धनतेरस 

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, त्रयोदशी 12 नवंबर की शाम से लग जाएगी। ऐसे में धनतेरस की खरीदारी 12 नवंबर को भी की जा सकेगी। हालांकि उदया तिथि में त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा।

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धनतेरस के दिन प्रकट हुए थे भगवान धन्वंतरि
धनतेरस हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इसे धन्वंतरि जयंती के नाम भी जाना जाता है। इस पर्व के बारे में मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वतंरि की पूजा से अरोग्यता की प्राप्ति होती है। इस दिन वस्तुओं की खरीदारी को शुभ माना जाता है।

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धनतेरस पर होती है इनकी पूजा
धनतेरस के दिन कुबेर देवता के साथ धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन किसी भी वस्तु को खरीदना शुभ माना जाता है। कुबेर देवता लोगों को धन और समृद्धि प्रदान करने वाले हैं।

27 मिनट तक है शुभ मुहूर्त
इस साल धनरेसत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.32 बजे से शुरू होकर 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। महज 27 मिनट के इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायी माना जाएगा। इसी वक्त अगर कोई दीपदान करता है तो भी शुभ होगा। जानकारी के लिए बता दें कि 13 नवंबर को धनतेरस पर खरीदारी के लिए पहला मुहूर्त सुबह 7 से 10 बजे तक है। जबकि, दूसरा मुहूर्त दोपहर 1 से 2.30 बजे तक रहेगा।

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नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) 

इस साल छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 14 नवंबर को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी पर स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 से सुबह 6:43 बजे तक रहेगा। चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक ही रहेगी। इसके बाद अमावस्या लगने से दीवाली भी इसी दिन मनाई जाएगी।

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दीवाली (दीपावली) 

15 नवंबर की सुबह 10.00 बजे तक ही अमावस्या तिथि रहेगी। अमावस्या तिथि में रात में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। ऐसे में दिवाली भी इस साल 14 नवंबर को मनाई जाएगी।

दीपावली के दिन पूजा के लिए पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 6 मिनट से 3 बजकर 33 मिनट तक है। यह लग्न विशेषकर व्यापारियों के लिए है। इस लग्न में व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों में गणेश-लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं। उनकी मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।

दीप प्रज्वलन लग्न
दीप प्रज्वलन लग्न को प्रदोष लग्न कहते हैं। दीवाली के दिन शाम 5:35 बजे से 7:25 तक यह शुभ मुहूर्त है। यह स्थिर लग्न होता है, इसमें आप अपने घर में गणेश-लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं। उनकी मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।

रात्रि पूजा लग्न
रात्रि पूजा लग्न साधकों के लिए होता है, जिसमें आप मंत्र सिद्धि करते हैं, जॉप करते हैं। इस लग्न में पूजा अर्चना की विशेष महत्ता होती है। दीवाली के दिन रात्रि 11:43 बजे से 1:59 तक शुभ मुहूर्त है।

चौघड़िया लग्न
दीवाली के दिन इन तीनों मुहूर्त के बीच एक शुभ मुहूर्त जिसे चौघड़िया शुभ मुहूर्त कहते हैं वह शाम 8:56 से रात्रि 10:35 तक रहेगा। इसमें आप पूजा पाठ कर सकते हैं, मूर्ति स्थापना कर सकते हैं।

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भाईदूज 

भाई दूज का त्योहार गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन मनाया जाता है, भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल भाई दूज का त्योहार 16 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा और इसी पर्व के साथ पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी हो जाता है। रक्षाबंधन की तरह से त्योहार भी भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। ये दिन भाई बहन के लिए सबसे ज्यादा खास होता, क्योंकि इस दिन बहनें अपने भाइयों को अपने घर भोजन के लिए बुलाती है और उन्हें प्यार से खाना खिलाती है।

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कथाएं हैं कि यमराज को उनकी बहन यमुना ने कई बार मिलने के लिए बुलाया, लेकिन यम नहीं जा पाए। लेकिन जब वो एक दिन अपनी बहन से मिलने पहुंचे तो उनकी बहन बेहद खुश हुई और उन्होंने यमराज को बड़े ही प्यार व आदर से भोजन कराया और तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना की। खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा – तब यमुना ने मांगा कि इस तरह ही आप हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया मेरे घर आया करो। वहीं इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा और उनके घर में भोजन करेगा व बहन से तिलक करवाएगा तो उसे यम व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। यमराज ने उनका ये वरदान मान लिया औऱ तभी से त्योहार मनाया जाने लगा।