Jagannath Rath Yatra 2024: आखिर भगवान जगन्नाथ हर साल रथ यात्रा से पहले क्यों हो जाते हैं बीमार? जानें इसके पीछे की पौराणिक परंपरा... | secret of Lord Jagannath falls ill every year

Jagannath Rath Yatra 2024: आखिर भगवान जगन्नाथ हर साल रथ यात्रा से पहले क्यों हो जाते हैं बीमार? जानें इसके पीछे की पौराणिक परंपरा…

The mystery of Lord Jagannath falling ill: आखिर भगवान जगन्नाथ हर साल रथ यात्रा से पहले क्यों हो जाते हैं बीमार? जानें इसके पीछे की पौराणिक परंपरा...

Edited By :   Modified Date:  June 30, 2024 / 02:27 PM IST, Published Date : June 30, 2024/2:27 pm IST

secret of Lord Jagannath falls ill every year: आषाढ़ अमावस्या को जगन्नाथ मंदिर के पट खुलते हैं और फिर आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है, जो कि समूचे विश्व में प्रसिद्ध है। पुरी के श्रीमंदिर में भगवान जगन्नाथ के 12 मुख्य उत्सव मनाए जाते हैं। रथ यात्रा उनमें से एक है। आषाढ़ के महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ व उनके सहोदर भाई-बहन के अपनी मौसी के घर या गुंडिचा मंदिर में नौ दिनों के प्रवास का यह वार्षिक उत्सव मनाया जाता है।

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पुरी में रथ यात्रा का आयोजन आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानि 7 जुलाई से होगा। यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ जी बीमार हो गए हैं, बुखार के चलते उनका एकांतवास चल रहा है। भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के बाद भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं, वैद्य उनका इलाज करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर हर साल भगवान जगन्नाथ क्यों बीमार होते हैं।

चलिए आपको भगवान जगन्नाथ के हर साल बीमार पड़ने का रहस्य… दरअसल भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम प्रतिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गृर्भग्रह से बाहर लाते हैं और उन्हें सहस्त्र स्नान कराया जाता है। ठंडे पानी से नहाने के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं, उन्हें बुखार हो जाता है। इसके कारण भगवान 15 दिनों तक शयन कक्ष में विश्राम मुद्रा में रहते हैं। ऐसे कहा जाता है कि जैसे मनुष्यों के अस्वस्थ होने पर उनका इलाज होता है वैसे ही भगवान जगन्नाथ का भी एकांत में उपचार किया जाता है।

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secret of Lord Jagannath falls ill every year: इस दौरान उन्हें कई औषधियां दी जाती है। औषधी के रूप में विशेष रूप से काढ़ा पिलाया जाता है। सादे भोजन जैसे खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इसके बाद वह पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद तीनों देवी-देवता रथ यात्रा पर निकलते हैं। वह यात्रा के दौरान गुंडीचा मंदिर अपनी मौसी के घर जाते हैं, फिर 10वें दिन पुन: अपने स्थल पर लौट आते हैं।