September Pradosh Vrat 2024

September Pradosh Vrat 2024 : इस दिन रखा जाएगा सितंबर का दूसरा प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त में करें पूजन, यहां देखें व्रत की कथा और महत्व

September Pradosh Vrat 2024 : मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।

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Modified Date: September 28, 2024 / 01:31 PM IST
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Published Date: September 28, 2024 1:31 pm IST

नई दिल्ली। September Pradosh Vrat 2024 : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं। पितृ पक्ष में प्रदोष व्रत 29 सितंबर 2024, रविवार को है। रविवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण रवि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है।

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प्रदोष व्रत शुभ तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की शुरुआत 29 सितंबर को शाम 4 बजकर 47 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 30 सितंबर को 7 बजकर 6 मिनट पर होगी। प्रदोष व्रत की पूजा शाम में की जाती है इसलिए 29 सितंबर को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम के 6 बजकर 9 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 34 मिनट तक है। यानी पूजा की अवधि कुल 2 घंटे 25 मिनट रहने वाली है। इस शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं। यदि आप इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हैं तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

इन चीजों का करें दान

रवि प्रदोष व्रत के दिन सफेद रंग की चीजों जैसे सफेद वस्त्र, दूध, दही और चावल आदि का दान करना चाहिए। इससे शिव जी के साथ-साथ साधक को पितरों की भी कृपा की प्राप्ति हो सकती है। इसी के साथ प्रदोष व्रत के दिन आप गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़े, खाना, फल आदि दान भी कर सकते हैं।

रवि प्रदोष व्रत का महत्व

रवि प्रदोष व्रत के दिन जो व्रत रखता है उसे अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और लंबी आयु होती है। कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए भी रवि प्रदोष व्रत रखना लाभदायक माना जाता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में शाम को विशेष रूप में पूजा करने का विधान है। तो आइए प्वाइंट वाइज जानते हैं प्रदोष व्रत की पूजा विधि क्या है।

प्रदोष व्रत के दिन शाम को सूर्यास्त होने से पहले एक बार फिर से स्नान करें।
साफ सुथरा रंग के वस्त्र धारण करें और पूर्व दिशा में मुँह करके भगवान भोलेनाथ की पूजा करें।
प्रदोष व्रत के दिन मिट्टी से शिवलिंग बनाएं और विधि-विधान से पूजा करने के बाद शिवलिंग का विसर्जन करें।
पूजा करने से पहले आपको दीपक जलाना होगा। उसके बाद ही पूजा की शुरुआत करना होगा।
सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करें, उसके बाद ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
भगवान शिव को जल, दूध, पंचामृत आदि से स्नान कराएं, उसके बाद बेलपत्र, पुष्प और पूजा की जितनी भी सामग्री है वे अर्पित करें।
इन सब चीजों को अर्पित करने के बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और कथा करें। उसके बाद आरती भी करें।
आरती करने के बाद भगवान शिव से क्षमा याचना करें और उनका आशीर्वाद लें।
यदि आप इस तरह विधि-विधान से प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।

 

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