श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में इस नदी के रेत का होगा उपयोग, गंगा से भी पवित्र है मान्यता | The sand of this river will be used in the Bhumi Pujan of Shri Ram temple

श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में इस नदी के रेत का होगा उपयोग, गंगा से भी पवित्र है मान्यता

श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में इस नदी के रेत का होगा उपयोग, गंगा से भी पवित्र है मान्यता

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 PM IST
,
Published Date: July 22, 2020 11:14 am IST

नई दिल्ली। अयोध्या में 5 सितंबर को श्रीराम के भव्य मंदिर का भूमि पूजन होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। इस भूमि पूजन में गया के अन्त:सलिला फल्गु नदी के रेत का उपयोग करने की बात सामने आ रही है।

पढ़ें- इंतजार खत्म, दुबई में होगा IPL-13 का आयोजन

पुरोहित प्रमुख प्रेमनाथ के मंदिर का निर्माण धार्मिक रीति-रिवाज की पुरानी परम्परा से किया जा रहा है। इसमें देश के प्रमुख नदी का पानी, धार्मिक स्थलों की मिट्टी मंगायी जा रही है।

पढ़ें- लॉकडाउन में इस बार बरती जाएगी ज्यादा सख्ती, बिन.

इस सिलसिले में गया के फल्गु नदी की रेत का प्रयोग किया जाएगा जो यहां के सनातन धर्मावलंबियों के लिए खुशी की बात है। यहां के सनातन धर्म से जुड़े और प्रभु श्रीराम के भक्त सवा किलो चांदी का ईंट भी भेजने की तैयारी कर रहें हैं। अयोध्या में होने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ ही कई राजनेता, साधु-संत एवं अन्य वीआईपी शामिल होगें।

पढ़ें- किसी भी स्थिति से निपटने तैयार रहे वायुसेना, LAC पर…

गया से गुजरनेवाली फल्गु नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है, यही वजह से है सनातन धर्म के माननेवाले देश विदेश के लाखों श्रद्धालु हरेक साल गया में आकर अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान करतें हैं और फल्गु नदी में तर्पण करतें हैं।

पढ़ें- पीपीई किट पहने ED ने सीएम गहलोत के बड़े भाई के घर मारा छापा, सुरजेवाला बोले- …

जिनके पास अपने पूर्वजों को देने की लिेए किसी तरह की सामग्री नहीं होती है वे फल्गु नदी के बालू का ही पिंड बनाकर पूर्वजों के मोक्ष कामना हेतु पिंडदान करतें हैं, जैसा की राम की पत्नी सीता के द्वारा अपने ससुर राजा दशरथ के लिए किया गया था।

पढ़ें- कलयुग में भी होते हैं चमत्कार,अपरंपार है साईं की महिमा

इस भूमि पूजन में पीएम नरेन्द्र मोदी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ताम्रकलश को स्थापित करेगें। इस ताम्र कलश में गंगाजल के साथ ही कई पवित्र स्थलों का जल एवं पंचरत्न के साथ ही कई अन्य सामग्री होगी। इसके लिए देशभर के विभिन्न तीर्थस्थलों से संबंधित सामग्री को लाने की प्रकिया शुरू कर दी गयी है। इस दौरान 40 किलो चांदी की शिला भी समर्पित की जायेगी।