नई दिल्ली।Guru Vakri Effect: हर ग्रह का अपना एक अलग ही महत्व होता है। कोई भी ग्रह जब राशि परिवर्तन करता है या फिर वक्री करता है, तो सभी राशियों के जीवन पर उसका शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव पड़ता हैं। 29 जुलाई को अपनी स्वराशि मीन में देवगुरु बृहस्पति वक्री अवस्था में आ गए हैं और यह 108 दिनों तक ऐसे ही रहने वाले हैं।बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह का संबंध ज्ञान, वृद्धि, शिक्षक, धन, दान और पुण् से है। इसलिए इनके वक्री होने से सभी राशियों पर इसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। इसका सीधा प्रभाव कुछ राशियों के जीवन पर साफ देखा जा सकता है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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Guru Vakri Effect: गुरु वक्री से इन राशि के जातकों के जीवन में अहम बदलाव देखने को मिलेंगे। गुरु ग्रह आपके दशम भाव में वक्री होने जा रहे हैं, इसे जॉब, व्यापर और कार्यक्षेत्र का भाव माना जाता है। इस दौरान नई जॉब का ऑफर मिल सकता है। इंक्रीमेंट और अप्रेजल के भी मौके हैं। व्यापार में अच्छा धन लाभ होने की संभावना है। गुरु वक्री से व्यापार का विस्तार हो सकता है। मार्केटिंग और मीडिया से जुड़े लोगों के लिए ये समय लाभकारी है। मिथुन राशि पर बुध का आधिपत्य है।
Guru Vakri Effect: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, गुरु वक्री होने से इस राशि के दिन अच्छे कटेंगे। देव गुरु इनके 11वें स्थान में वक्री हुए हैं। इसे इनकम और लाभ का स्थान कहा जाता है। गुरु के वक्री होने से आय में बढ़ोतरी होने के योग बन रहे हैं। इनकम के नए माध्यम बनेंगे। गुरु वक्री करने से कार्यशैली में भी निखार देखने को मिलेगा, जिससे ऑफिस में आपकी तारीफ होगी। अगर कोई नया व्यापार शुरू करने की सोच रहे हैं, तो कर सकते हैं। बता दें कि गुरु ग्रह आपके 8वें स्थान के स्वामी हैं, इसलिए शोध के क्षेत्र से जुड़े लोगों को सफलता हासिल होगी। व्यापार में अच्छा लाभ होता नजर आ रहा है। इस दौरान कोई व्यावसायिक डील फाइनल होने से धनलाभ होगा।
Guru Vakri Effect: गुरु ग्रह इस राशि के नवम भाव में वक्री हुए हैं। इसे भाग्य और विदेश यात्रा का स्थान माना गया है, इसलिए इस दौरान भाग्य पूरा देगा। इस दैरान आपके अटके हुए काम बनेंगे। कारोबार से संबंधित छोटी या बड़ी यात्रा कर सकते हैं। ये यात्रा आपके लिए लाभकारी साबित होगा। विदेश से जुड़े व्यापार वाले लोगों को भी मुनाफा होगा। वहीं, गुरु आपके छठे स्थान के स्वामी हैं और इसे रोग, कोर्ट-कचहरी और शत्रु का भाव माना गया है। इस दौरान शत्रुओं पर जीत हासिल होगी।
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