Last lunar eclipse of the year on Sharad Purnima
Last lunar eclipse of the year on Sharad Purnima: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं सभी पूर्णिमा तिथियों में शरद पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है। मान्यता है कि सोलह कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है। भगवान श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं से परिपूर्ण अवतार माना जाता है। ऐसे में इस दिन चंद्रदेव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कई जगहों पर शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।
इस साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 29 अक्टूबर को रात में 01 बजकर 53 मिनट पर होगा। उदया तिथि और पूर्णिमा के चंद्रोदय का समय दोनों ही 28 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए 28 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी।
शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. उस दिन रात्रि में पूजा के 3 शुभ मुहूर्त हैं. शुभ-उत्तम मुहूर्त रात 08 बजकर 52 मिनट से 10 बजकर 29 मिनट तक, अमृत-सर्वात्तम मुहूर्त 10 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 05 मिनट तक और चर-सामान्य मुहूर्त 12 बजकर 05 मिनट तक से 01 बजकर 41 मिनट तक है। रात में इन तीनों मुहूर्त में आप कभी भी मां लक्ष्म की पूजा कर सकते हैं।
2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023, शनिवार को लगेगा। ग्रहण 28 अक्टूबर की मध्य रात्रि 01 बजकर 06 मिनट पर प्रारंभ होहा और रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। यह चंद्रग्रहण भारत में नजर आएगा, जिसके चलते इसका सूतक काल भी मान्य होगा। चंद्रग्रहण का सूतक काल 09 घंटे पूर्व से प्रारंभ होता है।
-शरद पूर्णिमा पर प्रातरू काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और सुबह के समय शुभ मुहूर्त में भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।
-चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं भगवान सत्यानारयण की तस्वीर स्थापित करें और फिर पीले फूल, पीले वस्त्र, पीला फल(केला), जनेऊ, सुपारी, हल्दी अर्पित करें।
-भोग में तुलसीदल डालकर श्रीहरि को अर्पित करें। धूप, दीप लगाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और फिर आरती कर दें और यथाशक्ति दान करें।
-चावल और दूध की खीर बनाकर रात में 10-12 बजे के बीच खुले आसमान के नीचे इसे रखें। इस दिन रात में चंद्रमा की शीतल किरणों से अमृत बरसता है।
-चंद्रोदय के बाद गंगाजल को चांद की रोशनी में रखें और फिर इससे महादेव का अभिषेक करें। इस उपाय से चंद्रदोष दूर होता है और जीवन के सभी तनाव खत्म हो जाते हैं।
-रात 11 से 1 बजे के बीच खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें, मां लक्ष्मी और चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें।
Last lunar eclipse of the year on Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के सामान मानी जाती हैं। यही वजह है कि इस दिन खीर बनाई जाती है और रात में चंद्रमा की रोशनी में रख दी जाती है, जिससे खीर में चांद रोशनी पड़े और इसमें भी अमृत का प्रभाव हो सके। ऐसे में इस दिन आप भी खीर बना कर रात्रि समय चंद्रमा की रोशनी में रखें और उसके बाद खीर का सेवन करें। इससे अच्छा स्वास्थ्य और लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।