Shri Jwala kali maa ki aarti : 'मंगल' की सेवा, सुन मेरी देवा ! हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े। पान-सुपारी, ध्वजा-नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।। | Shri Jwala kali maa ki aarti

Shri Jwala kali maa ki aarti : ‘मंगल’ की सेवा, सुन मेरी देवा ! हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े। पान-सुपारी, ध्वजा-नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।।

Edited By :   Modified Date:  August 10, 2024 / 05:10 PM IST, Published Date : August 10, 2024/5:10 pm IST

Shri Jwala kali maa ki aarti : माता के हर रूप की आरतियां प्रचलित हैं। माता कालिका की कई आरतियां प्रचलित हैं। मां भवानी का एक रूप ज्वाला भी है। माता ज्वाला देवी शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। इनकी पूजा करने से इंसान को सुख-शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।

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Shri Jwala kali maa ki aarti : आईये पढ़ते हैं ज्वाला काली माँ की आरती

‘मंगल’ की सेवा, सुन मेरी देवा!
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।
पान-सुपारी, ध्वजा-नारियल
ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।।
सुन जगदम्बे न कर बिलंबे
संतन के भंडार भरे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली।
जै काली कल्याण करे।।टेक।।
‘बुद्ध’ विधाता तू जगमाता
मेरा कारज सिद्ध करे।
चरण कमल का लिया आसरा
शरण तुम्हारी आन परे।।

Shri Jwala kali maa ki aarti
जब-जब भीर पड़े भक्तन पर
तब-तब आय सहाय करे।
संतन प्रतिपाली०।।
‘गुरु’ के बार सकल जग मोह्यो
तरुणी रूप अनूप धरे।
माता होकर पुत्र खिलावै,
कहीं भार्या भोग करे।।
‘शुक्र’ सुखदाई सदा सहाई
संत खड़े जयकार करे।
संतन प्रतिपाली०।।
ब्रह्मा विष्णु महेस फल लिये
भेंट देन तव द्वार खड़े।
अटल सिंहासन बैठी माता
सिर सोने का छत्र फिरे।।
वार ‘शनिश्चर’ कुंकुम बरणी,
जब लुंकड़ पर हुकुम करे।
संतन प्रतिपाली०।।

Shri Jwala kali maa ki aarti
खड्ग खपर त्रैशूल हाथ लिये
रक्तबीजकूं भस्म करे।
शुंभ निशुंभ क्षणहि में मारे
महिषासुर को पकड़ दले।।
‘आदित’ वारी आदि भवानी
जन अपने का कष्ट हरे।
संतन प्रतिपाली०।।
कुपित होय कर दानव मारे
चण्ड मुण्ड सब चूर करे।
जब तुम देखौ दयारूप हो,
पल में संकट दूर टरे।।
‘सोम’ स्वभाव धर्यो मेरी माता
जनकी अर्ज कबूल करे।
संतन प्रतिपाली०।।
सात बार की महिमा बरनी
सब गुण कौन बखान करे।
सिंहपीठ पर चढ़ी भवानी
अटल भवन में राज्य करे।।
दर्शन पावें मंगल गावें
सिध साधक तेरी भेंट धरे।
संतन प्रतिपाली०।।

Shri Jwala kali maa ki aarti
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे
शिवशंकर हरि ध्यान करे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करैं आरती
चमर कुबेर डुलाय करे।।
जय जननी जय मातु भवानी
अचल भवन में राज्य करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली
जय काली कल्याण करे।।
संतन प्रतिपाली०।।